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ऑक्सफोर्ड की एस्ट्राजेनेका के बराबर ही इम्य़ुनिटी देती है भारत की कोविशील्ड: स्टडी

कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए दुनिया भर में ज्यादा-से-ज्यादा टीकाकरण किया जा रहा है। वहीं अलग अलग वैक्सीन और उनके परिणाम भी चर्चा में हैं।हाल में पाया गया कि भारत में किए गए ब्रिजिंग फेज 2/3 के ट्रायल के अनुसार, कोरोना वायरस रोग (कोविड -19) के खिलाफ ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (AZD1222) वैक्सीन का लोकल वर्जन कोविशील्ड, AZD1222 की तुलना में बराबर की इम्युनिटी तैयार करता है। हालांकि, ट्रायल के परिणाम एक प्री- प्रिंट स्टडी का हिस्सा हैं जिनको अभी रिव्यु किया जाना है।

बता दें कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा एस्ट्राजेनेका से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बाद निर्मित कोविशील्ड को भारत में फेज 2/3 इम्यूनो-ब्रिजिंग स्टडी में इवैलुएट किया गया था। AZD1222 की तुलना में कोविशील्ड में एक नॉन इंफीरियर इम्यून रेस्पोंस है।

25 अगस्त से 31 अक्टूबर, 2020 के बीच, 1601 वॉकंटियर्स पर स्टडी की गई थी। इसके बाद भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने राष्ट्रीय औषधि नियामक की विषय विशेषज्ञ समिति द्वारा इसकी मंजूरी की सिफारिश के बाद, इस साल 3 जनवरी को कोविशील्ड को आपातकालीन की मंजूरी दी थी

इधर, कोरोना के खिलाफ टीकाकरण में तेजी के बीच ऐसी भी खबरें आईं कि कई जगह फर्जी टीके लगाए जा रहे हैं। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के कारोबार का खुलासा हुआ है। हाल ही में दक्षिणपूर्वी एशिया और अफ्रीका में नकली कोविशील्ड पाई गई थी, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फर्जी टीकों को लेकर सचेत किया था। अब केंद्र सरकार ने राज्यों को ऐसे कई मानक बताएं हैं, जिनके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि आपको दी जा रही वैक्सीन असली है या फिर नकली।