भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है कि एक बार संक्रमित होने के बाद किसी भी व्यक्ति में विकसित होने वालीं एंटीबॉडी करीब एक वर्ष से भी अधिक समय तक टिक सकती हैं।
अभी तक कई ऐसे वैज्ञानिक अध्ययन आए हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि 95 फीसदी तक एंटीबॉडी 12 महीने से भी अधिक समय तक रहती हैं। इस अवधि तक यह एंटीबॉडी उक्त व्यक्ति का संक्रमण से बचाव करने में मदद करती हैं।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि देश में कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन की तीसरी खुराक (बूस्टर डोज) पर फिलहाल विचार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि तीन महीने पहले जून में चौथे सीरो सर्वे में पता चला था कि दूसरी लहर के दौरान 67% से भी अधिक आबादी संक्रमण की चपेट में आई थी।
डीएनए वैक्सीन जल्द
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि जायडस कैडिला फॉर्मा कंपनी की डीएनए वैक्सीन की कीमत को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। यह तीन खुराक वाली वैक्सीन है। अभी सरकार से कंपनी के साथ बातचीत चल रही है। बहुत ही कम समय में वैक्सीन टीकाकरण कार्यक्रम में उपलब्ध होने जा रही है।