राकेश टिकैत के साथ लगातार चली वार्ता, धरना समाप्ति की घोषणा पर राहत
तिकुनिया (लखीमपुर खीरी)। धरनास्थल की ओर रवाना होते किसानों का बढ़ता हुजूम और साथ ही बढ़ती पुलिस टुकड़ियों की संख्या। अंदाजा लगाइए कि अगर टकराव हो जाता तो क्या हालात बनते? पहले ही चार किसानों की मौत से लहूलुहान हो चले इस आंदोलन में और न जाने क्या-क्या होता। इसे रोकने की परीक्षा पूरे 22 घंटे तक चली। किसान और सरकार, यह दोनों के लिए परीक्षा ही थी और सुकून तब आया जब धरना समाप्ति की घोषणा हुई।
तिकुनिया में किसान आंदोलन में सोमवार को दोहरी परीक्षा थी। परीक्षा किसानों के उस धैर्य की थी जिसमें उन्होंने अपने भीतर ज्वालामुखी को फटने से रोक रखा था। साथ ही सरकार की भी जो इस बवाल को टालने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए थी।
रविवार को लखीमपुर खीरी के तिकुनियां कस्बे में हुई घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। किसान आंदोलन में इस तरह की घटना से जहां पूरे प्रदेश के किसान उद्वेलित थे तो वहीं राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने भी तिकुनिया कूच करने का एलान कर दिया था।
उधर, घटना का शिकार हुए किसानों के शवों को उनके परिजनों एवं किसानों ने तिकुनिया में धरना स्थल पर ही रखकर जाम लगा दिया। रात को ही भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत यहां पहुंच गए थे तो आंदोलन को और मजबूती मिल गई। तनाव भरे इस माहौल को सामान्य करने के लिए प्रदेश सरकार ने भी अपनी पूरी ताकत लगाई।
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार के अलावा अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईजी लक्ष्मी सिंह समेत तमाम आला अफसर मौके पर डेरा डाले थे। सीएम को पल-पल की रिपोर्ट दी जाती रही।
राकेश टिकैत को भी धरना स्थल से लगभग चार सौ मीटर दूर एक कॉलेज में ले जाकर बात की गई। रात से दोपहर 12 बजे तक तमाम सरकारी अमला मामले को निपटाने की कवायद में जुटा रहा और एक बजे तब जाकर मामला शांत हुआ जब मुआवजे और अन्य मांगों पर सहमति होने के बाद धरना समाप्ति की घोषणा की गई।
पुलिसवालों पर भी गाड़ी चढ़ा सकता था मंत्री का बेटा : टिकैत
तिकुनिया। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पुलिसवालों ने ही उन्हें बताया कि अगर रविवार को उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे आशीष की गाड़ी रोकने की कोशिश की होती, तो वह उनके ऊपर भी गाड़ी चढ़ा देता।
टिकैत ने कहा कि हमारे शहीद साथियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। दिल्ली बॉर्डर पर शहीद किसानों की सूची में ही तिकुनियां में शहीद हुए साथियों के नाम शामिल होंगे। टिकैत ने मंच से कहा कि काले झंडे दिखाने की सजा गाड़ी से कुचलना नहीं हो सकता। इस घटना के जो भी सुबूत जिसके पास हों, वह उन्हें उपलब्ध कराएं। ताकि, इन्हें केस की जांच
और सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया जा सके।
तिकुनिया बवाल में इन लोगों की हुई मौत
मृतक किसान
1- नक्षत्र सिंह पुत्र सूबा सिंह, निवासी रामदनपुरवा थाना धौरहरा
2- गुरुविंदर सिंह पुत्र सुखविंद सिंह, निवासी मोरलिया बहराइच
3- दलजीत सिंह पुत्र हरी सिंह, निवासी बंजाराटांडा नानपारा बहराइच
4- लवप्रीत सिंह पुत्र सतनाम सिंह, निवासी चौखड़ा फार्म मझगईं
अन्य मृतक
1- श्याम सुंदर, भाजपा मंडल अध्यक्ष सिंगाही
2- हरिओम मिश्रा, गाड़ी चालक निवासी शंकरपुर फरधान
3- शुभम मिश्रा, भाजपा बूथ अध्यक्ष, निवासी गढ़ी रोड लखीमपुर
4- रमन कश्यप, पत्रकार निवासी निघासन
घायलों की सूची
1- आशीष कुमार, निवासी तारानगर, निघासन
2- लवकुश, निवासी बनवीरपुर, तिकुनिया
3- शेखर, ड्राइवर निवासी सुदामापुरी, लखीमपुर
दो डॉक्टरों के पैनल ने पांच घंटे किया पोस्टमार्टम
लखीमपुर खीरी। रविवार को हुई घटना में मारे गए किसान नक्षत्र सिंह, गुरविंदर सिंह, दलजीत सिंह और लवप्रीत सिंह का पोस्टमार्टम कराने के लिए डॉक्टरों के दो पैनल बनाए गए। पांच घंटे पोस्टमार्टम चला। इस दौरान वीडियोग्राफी भी कराई गई।
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के एक पैनल में डॉक्टर केके रंजन, डॉ. एके द्विवेदी, डा. सतीश वर्मा और दूसरे पैनल में डॉक्टर एससी मिश्रा, डा. राजेश और डा. आरती वर्मा शामिल थे। सभी शवों का पोस्टमार्टम करीब पांच घंटे तक चला। इस दौरान किसान गुरविंदर सिंह के गोली लगने की आशंका चलते शव का एक्सरे भी कराया गया। डॉक्टरों का कहना है पोस्टमार्टम के दौरान गोली लगने की पुष्टि नहीं हुई है। उधर, भाजपा के मंडल और बूथ अध्यक्ष समेत पत्रकार और मंत्री पुत्र की कार के चालक का पोस्टमार्टम रविवार देर करा दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक किसानों की हत्या का कारण शॉक एंड हेमरेज बताया गया है। जबकि भाजपा के कार्यकर्ताओं की मौत का कारण पिटाई बताया गया है। जानकारी के मुताबिक इस पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई है।