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यूपी: ठंडे पड़ते किसान आंदोलन को भाजपाइयों के बिगड़े बोल ने दी मजबूती, वरुण गांधी भी दे रहे हवा

ठंडे पड़ रहे किसान आंदोलन को फिर से जान फूंकने में भाजपा के ही जनप्रतिनिधि बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ‘पार्टी विद् डिफरेंस’ का दावा करने वाली भाजपा का अपने जनप्रतिनिधियों पर कितना नियंत्रण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जनवरी में गाजियाबाद के लोनी से पार्टी विधायक नंद किशोर गुर्जर के बिगड़े बोल ने प्रदेश में खत्म होते किसान आंदोलन को फिर ऑक्सीजन दे दी थी।

अब एक बार फिर जब किसानों का आंदोलन ठंडा पड़ने लगा था तो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की बयानबाजी और उनके बेटे की करतूत ने हालात फिर से बिगाड़ दिए। अभी तक पश्चिम तक सिमटा किसान आंदोलन रुहेलखंड तक बढ़ गया है और इसके पूर्वांचल तक पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पार्टी नेताओं का यह रवैया प्रदेश में मिशन-2022 की बिसात बिछाने में जुटी योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए सिरदर्द साबित होता जा रहा है।

यूं तो भाजपा के विधायक और सांसद समय-समय पर अपने बिगड़े बोल से सड़क से लेकर सदन तक सरकार और संगठन को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। कुछ माह पूर्व किसान नेताओं का संबंध अंडरवर्ल्ड माफिया दाउद इब्राहिम से बता दिया। इससे समाप्त होते किसान आंदोलन को हवा मिल गई। यहां बता दें कि नंद किशोर गुर्जर के कारण ही 2019 में भाजपा विधायक विधानसभा में अपनी ही सरकार के खिलाफ सदन में खड़े हो गए थे।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने दिया था उकसाने वाला भाषण
वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कुछ दिन पहले लखीमपुर खीरी में किसानों को उकसाने वाला बयान दे दिया। इसके बाद रविवार को किसानों पर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना ने एक बार फिर किसान आंदोलन की बुझती आग में घी डाल दिया।

सियासी जानकारों का मानना है कि सीतापुर के विधायक शशांक त्रिवेदी, बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह, मुगलसराय से विधायक साधना सिंह सहित अन्य सांसद और विधायक भी अपनी बेतुकी बयानबाजी के कारण समय-समय पर सरकार व संगठन के लिए मुश्किल खड़ी करते रहे हैं।

वरुण गांधी भी दे रहे हवा
पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी भी समय-समय पर पत्र लिखकर किसानों के आंदोलन को हवा देने में पीछे नहीं हैं। वरुण गांधी ने सरकार व संगठन की लाइन से अलग हटकर बीते दिनों किसानों के समर्थन में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।

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