Sunday , September 29 2024

मां अन्नपूर्णा दर्शन: अन्न-धन की देवी की एक झलक पाने को लगी श्रद्धालुओं की लंबी कतार, गेट नंबर एक से मिलेगा प्रवेश

काशी पुराधिपति को अन्न की भिक्षा देने वाली माता अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतार लग गई है। भक्तों पर अन्न और धन की बरसात करने वाली मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन मंगलवार से शुरू हो जाएंगे। कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। सोमवार को अधिकारियों ने अन्नपूर्णा मंदिर पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया।

सोमवार को सुबह से ही माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। बैरिकेडिंग में लोगाें ने 24 घंटे पहले से ही अपना स्थान लेना शुरू कर दिया था। शाम होते-होते दर्शनार्थियों की लंबी कतार लग चुकी थीं हालांकि स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन पूजन मंगलवार की भोर से होंगे।

स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन 2 से 5 नवंबर तक
महंत शंकर पुरी ने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा। मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन 2 से 5 नवंबर तक होंगे। विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वालों को गेट नंबर चार से प्रवेश दिया जाएगा और अन्नपूर्णा मंदिर में गेट नंबर एक ढुंढिराज से प्रवेश मिलेगा। लाउड हेलर से सुरक्षाकर्मी भक्तों को जागरूक करेंगे।

माता अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतार

मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों को गलियों में परेशानी झेलनी पड़ेगी। टूटी गलियां और क्षतिग्रस्त रास्तों से होकर भक्ताें को मंदिर में प्रवेश करना पड़ेगा। मंदिर की ओर जाने वाली गलियों की हालत ठीक नहीं है। 

धनवंतरि निवास के आंगन में दर्शन देंगे आरोग्य देवता
शिव की नगरी काशी में धनत्रयोदशी पर आरोग्य अमृत का कलश छलकेगा। भगवान धनवंतरि श्रद्धालुओं को आरोग्य का आशीर्वाद देंगे। धनवंतरि निवास के आंगन में 325वें साल भगवान धनवंतरि भक्तों को दर्शन देंगे। पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण ऑनलाइन दर्शन हुए थे, ऐसे में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने के आसार हैं। सोमवार को धनवंतरि निवास पर तैयारियां चलती रहीं।

भगवान धनवंतरि की जयंती पर कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि में दर्शन पूजन होंगे। पं. रामकुमार शास्त्री ने बताया कि श्रद्धालुओं को भगवान धनवंतरि के भव्य दर्शन मिलेंगे। राजवैद्य स्व. पं. शिव कुमार शास्त्री का परिवार पांच पीढ़ियों से भगवान धनवंतरि की सेवा कर रहा है। पं. रामकुमार शास्त्री ने बताया कि उनके पूर्वज पं. बाबूनंदन जी ने 325 साल पहले धनवंतरि जयंती की शुरुआत की थी। यह परंपरा आज भी जारी है।

भगवान धनवंतरि की प्रतिमा

सुड़िया स्थित धनवंतरि भवन में भगवान धनवंतरि की प्रतिमा धनतेरस पर आमजनों के दर्शन के लिए खोली जाती है। रजत सिंहासन पर करीब ढाई फीट ऊंची रत्न जड़ित मूर्ति साक्षात अद्भुत है। एक हाथ में अमृत कलश, दूसरे में शंख, तीसरे में चक्र और चौथे हाथ में जोंक तो दोनों ओर चंवर डोलाती सेविकाएं। दिव्य झांकी के दर्शन कर भक्त वर्ष भर आरोग्य की कामना करते हैं।

मान्यता है कि प्रभु धनवंतरि के दर्शन से वर्ष भर परिवार में रोग-व्याधि नहीं होती है। श्रीमद्भागवत में उल्लेख है कि विष्णु के 24 अवतार में धनवंतरि भी एक थे। वह सीधे समुद्र से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे। यह काल दोपहर का था ऐसे में पूजन इस बेला में ही किया जाता है।
मणि मंदिर में चार दिन बंटेगा मां अन्नपूर्णा का खजाना

मणि मंदिर में स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा

दुर्गाकुंड स्थित मणि मंदिर में मंगलवार से चार दिवसीय दीपावली महोत्सव प्रारंभ होगा। यह धनत्रयोदशी से शुरू होकर अन्नकूट तक चलेगा। धर्म संघ के महामंत्री पंडित जगजीतन पांडेय ने बताया की प्रतिवर्ष मंदिर में स्थापित स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का पूजन कर भक्तों की मनोकामना पूर्ण एवं धनधान्य से परिपूर्ण करने की मां से कामना की जाती है। भक्तों को आशीर्वाद स्वरूप चारों दिन मां का खजाना बांटा जाएगा।

पहले दिन मंदिर में विद्यमान स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णेश्वरी का विधिविधान पूर्वक पूजन अर्चन करने के पश्चात श्रद्धालुओं को मां का खजाना वितरित किया जाएगा। दूसरे दिन हनुमत जयंती एवं छोटी दीपावली के अवसर पर विविध धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे।

तीसरे दिन दीपावली पर मणि मंदिर में सहस्त्र दीपक एवं विद्युत झालरों से पूरे मंदिर को प्रकाशित किया जाएगा एवं देव विग्रह का दिव्य शृंगार किया जाएगा। चौथे दिन अन्नकूट पर छप्पन भोग की झांकी मंदिर में सजाई जाएगी और श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया जाएगा। आयोजन धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी के सानिध्य में संपन्न होगा।

new