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टिकट को लेकर सपा विधायकों की धड़कन बढ़ी: दूसरे दलों के विधायकों के आने से कहीं खुशी तो कहीं गम का महौल

समाजवादी पार्टी में बसपा व भाजपा के विधायकों के आने का सिलसिला जारी है। अगले दो दिन में कई और विधायकों का शामिल होना लगभग तय है। ऐसे में कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल है। कार्यकर्ता खुश हैं। खासतौर से सपा के विधायकों की धड़कन बढ़ी हुई है। वे क्षेत्र छोड़कर लखनऊ में डेरा डाले हैं। कार्यालय के आसपास रहकर सियासी गणित की थाह ले रहे हैं।

2017 में सपा ने 311 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें 47 पर विजय हासिल की और 162 पर दूसरे स्थान पर रही। अन्य सीटें कांग्रेस को दी थी। सपा को कुल मतदान में 21.82 फीसदी वोट और कांग्रेस को 6.25 फीसदी वोट मिले थे। जबकि भाजपा को 39.67 फीसदी, बसपा को 22.23 फीसदी, राष्ट्रीय लोकदल को 1.78 फीसदी, सीपीआई को 0.16, सीपीएम को 0.04 और एनसीपी को 0.04 फीसदी वोट मिले थे।

समाजवादी पार्टी के वर्तमान विधायकों के साथ ही दूसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार क्षेत्र में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस बीच सुभासपा के चार विधायक सपा में आ गए हैं। इन्हें 0.70 फीसदी वोट मिले थे। वहीं भाजपा चार विधायक सपा की सदस्यता ले चुके हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ चार विधायक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिल चुके हैं और 10 अन्य के भी इस्तीफा देकर सपा में आने की चर्चा है। इसी तरह बसपा के आठ विधायक भी सपा में शामिल हो चुके हैं। इन सभी का भी मैदान में उतरना तय है।

वहीं सपा के वर्तमान विधायकों और टिकट के दावेदारों के माथे से पसीना टपक रहा है। वे शीर्ष नेतृत्व के सिपहसलारों के यहां चक्कर काट रहे हैं। हालांकि यहां से भी उन्हें पुख्ता आश्वासन नहीं मिल रहा है। कुछ कार्यालय के अंदर पहुंच रहे हैं तो कुछ कार्यालय के बाहर खड़े होकर यह निगरानी कर रहे हैं कि अंदर क्या गणित चल रहा है। कुछ विधायक खुद कार्यालय पहुंचने के बजाय अपने खास लोगों को पार्टी कार्यालय पर लगा रखे हैं। ये लोग इस बात की टोह लेते हैं कि उनकी विधानसभा क्षेत्र से कौन-कौन पार्टी कार्यालय पहुंच रहा है।

सपा अध्यक्ष बोले- क्षेत्र में जाओ, लोग पूछते हैं टिकट मिलेगा क्या

उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्से से कई विधायक लखनऊ में डेरा डाले हैं। कोई अपने सरकारी आवास से सियासी हवा का रूख भांपने का प्रयास कर रहा है तो कोई रिश्तेदार के यहां से। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए एक सपा विधायक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उनके सामने बड़ी चुनौती है। सपा अध्यक्ष ने क्षेत्र में रहने के लिए कहा है। जब क्षेत्र में जाते हैं तो वहां से जनता यह कहती है कि टिकट लेकर आओ। उनके विधानसभा क्षेत्र पर गठबंधन में शामिल पार्टी ने भी दावेदारी कर दी है। ऐसे में जनता सवाल पूछती है कि टिकट हमें मिलेगा या गठबंधन वाले को। वोट मांगने जाओ तो यही सवाल बार-बार पूछे जाते हैं। ऐसे में अब दो तीन दिन इंतजार कर रहे हैं। विधायक होने की वजह से एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन कब झटका लग जाए, यह तय नहीं है।

टिकट कटेगा या सीट बदलेगी: नींद उड़ी
बसपा से सपा में आकर विधायक बने पूर्वांचल के एक विधायक का टिकट कटने आशंका है। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान पार्टी उम्मीदवार को हराने का आरोप झेल रहे इस विधायक के सामने गठबंधन में शामिल पार्टी ने दावा ठोंक दिया है। वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दरबार में हाजिरी लगाकर टोह ले रहे हैं। वह दावा करते हैं कि उनके अनुसार विधानसभा सीटों पर टिकट दिया गया तो जिले की सभी सीटें जीत जाएंगे।

इस दावे के बीच वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से खुद की स्थिति के बारे में भी पूछते हैं। बातचीत के दौरान यहां तक कहते हैं कि इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष क्या करेंगे, किसी को पता नहीं है। इसलिए नींद उड़ी हुई है। क्षेत्र में जनता का सवाल देते-देते थक गए, सो लखनऊ में डेरा डाले हैं। इसी तरह मध्य यूपी के एक विधायक यह कह रहे हैं कि उनकी सीट पर बसपा से आए उम्मीदवार को उतारा जा सकता है। ऐसे में वह राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं से अपील कर रहे हैं कि उन्हें बगल वाली विधानसभा क्षेत्र की सीट दे दी जाए।

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