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ओमिक्रॉन का सामुदायिक प्रसार : अध्ययन में पहली बार मिले प्रमाण, राजधानी में 60 फीसदी से ज्यादा फैला वायरस

देश में पहली बार ओमिक्रॉन का सामुदायिक प्रसार मिला है। राष्ट्रीय राजधानी में हाइब्रिड इम्युनिटी भी बननी शुरू हो गई है। अभी तक सरकारें सामुदायिक प्रसार का अनुमान लगा रही थीं, लेकिन अब चिकित्सीय अध्ययन में इस बात के सुबूत भी मिल चुके हैं। दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जहां समुदाय में 60 फीसदी से भी ज्यादा ओमिक्रॉन का प्रसार हुआ है। 22 दिन पहले यह प्रसार शुरू हुआ जो अब वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वालों में भी मिल रहा है।

साल 2020 में वुहान, फिर 2021 में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने के बाद लोगों ने टीका भी लिया लेकिन अब ओमिक्रॉन की चपेट में आने के बाद फिर से इनके शरीर में इम्युनिटी बन रही है। चिकित्सा विज्ञान में यह हाइब्रिड इम्युनिटी माना जाता है। दिल्ली में अभी कुछ मरीज ऐसे भी मिले हैं जिनमें चार-चार स्रोत के जरिये इम्युनिटी विकसित हुई है।

जन स्वास्थ्य के लिहाज से ओमिक्रॉन के सामुदायिक प्रसार से बन रही हाइब्रिड इम्युनिटी को बेहतर संकेत भी माना जा रहा है। साथ ही सामुदायिक प्रसार घोषित होने की वजह से सरकारी रणनीतियों में निगरानी से लेकर जांच तक को लेकर बदलाव भी किए जा रहे हैं।  जानकारी के अनुसार नई दिल्ली के बसंत कुंज स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंस (आईएलबीएस) ने अध्ययन के जरिये दिल्ली में ओमिक्रॉन वैरिएंट के सामुदायिक प्रसार की पुष्टि की है। 

अध्ययन मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशन से पूर्व समीक्षा की स्थिति में है। अध्ययन के दौरान पता चला है कि दिल्ली में बीते 23 दिसंबर, 2021 से यह सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका है। पिछले सप्ताह दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी सामुदायिक प्रसार की पुष्टि की थी।

ऐसे मिला ओमिक्रॉन का सामुदायिक प्रसार
डॉ. गुप्ता बताती हैं कि अध्ययन में यह भी पता चला कि ओमिक्रॉन के 72 (87.8 फीसदी) मरीज पूरी तरह से टीकाकरण करवा चुके थे। 32 (39.1 फीसदी) मरीजों में हमें ट्रेवल हिस्ट्री या फिर क्लोज कॉन्टेक्ट संक्रमण का कारण मिला। जबकि 50 (60.9 फीसदी) में संक्रमण के स्रोत का पता नहीं चल पाया। फिर हर दिन सैंपल में ओमिक्रॉन की मौजूदगी मिलती चली गई और 1.84 से 54 फीसदी तक सैंपल की संख्या बढ़ती चली गई। किसी भी महामारी के सामुदायिक प्रसार का आकलन करने के लिए यह आंकड़े पर्याप्त हैं।

60%समुदाय में मिला वैरिएंट
डिपार्टमेंट ऑफ क्लीनिकल वायरोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. एकता गुप्ता ने बताया कि देश में पहली बार ओमिक्रॉन वैरिएंट पर इस तरह का अध्ययन हुआ है और उसमें सामुदायिक प्रसार की पुष्टि भी हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले साल 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच 264 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग में 182 (68.9 फीसदी) में डेल्टा और दूसरे वैरिएंट मिले थे। जबकि 82 (31.06 फीसदी) में ओमिक्रॉन वैरिएंट की मौजूदगी मिली। इनमें 50 (61 फीसदी) रोगियों में हल्के लक्षण मिले थे।

एम्स को मिली हाइब्रिड इम्युनिटी
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों को दिल्ली में हाइब्रिड इम्युनिटी भी मिली। डॉक्टरों ने बताया कि दिल्ली में अब कुछ मामले ऐसे देखने को मिल रहे हैं जो पिछले साल डेल्टा की चपेट में आए और ठीक होने के बाद उन्होंने वैक्सीन लिया। इसके बाद अब वे ओमिक्रॉन संक्रमित हुए हैं। इनमें एम्स के ही स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या शामिल है।

वहीं कुछ मरीजों में यह भी पता चला है कि उन्हें साल 2020, फिर 2021 और अब ओमिक्रॉन का संक्रमण हुआ। इनका टीकाकरण भी हुआ है और अब एहतियात खुराक भी मिलेगी। एम्स ने इस पर चिकित्सीय अध्ययन शुरू कर दिया है। डॉ. एकता गुप्ता ने बताया कि हाइब्रिड इम्युनिटी दिल्ली में बनना शुरू हुई है। इसे फिलहाल सकारात्मक दृष्टिकोण से ही देखा जा रहा है कि लोगों में एंटीबॉडी का स्तर काफी मजबूत हो रहा है।

ये भी हैं तथ्य

  • दिल्ली में छठे सीरो सर्वे के अनुसार साल 2021 में अप्रैल से जून के बीच दिल्ली की 97 फीसदी आबादी में डेल्टा संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होने का अनुमान।
  •  साल 2020 में दिल्ली के पहले सीरो सर्वे में दिल्ली की 24 फीसदी आबादी में वुहान और एल्फा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होने का अनुमान लगाया गया था।
  • अब साल 2022 में दिल्ली की 60 फीसदी से भी अधिक आबादी में ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होने की पुष्टि भी हुई।
  • अभी तक 100 फीसदी आबादी को एक खुराक दी जा चुकी है। 80 फीसदी से अधिक आबादी दोनों खुराक भी ले चुकी है।
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