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यूपी का रण: गोरखपुर शहर में योगी के सामने राजनीति के नए खिलाड़ी, भाजपा का गढ़ रही है यह सीट, मुख्यमंत्री पांच बार रहे सांसद

निज कबित्त केहि लाग न नीका।  सरस होउ अथवा अति फीका॥
जे पर भनिति सुनत हरषाहीं।  ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं॥

अर्थात सरस हो या अत्यंत नीरस, अपनी कविता किसे अच्छी नहीं लगती। किंतु जो दूसरे की रचना को सुनकर हर्षित होते हैं, ऐसे उत्तम पुरुष जगत में बहुत नहीं हैं॥ पूर्वांचल की धरती पर पहुंची चुनावी यात्रा पर गोस्वामी तुलसीदास की ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं। चुनाव आगे तो बढ़ा था मुद्दों के रथ पर सवार होकर। पर, मतदान करीब आते-आते रथ  कहीं पीछे छूट गया। काफी पीछे…। अब तो महारथियों के रणकौशल का इम्तिहान है। इसलिए साधन नहीं, साधक अहम है। दिखाई भी दे रहा है। सुनाई भी दे रहा है। अब चुनाव उस दौर में पहुंच गया है जहां छवियां अहम हैं। प्रतिमान-कीर्तिमान अहम हैं। अब तो हमले के नए औजार हैं। सीधे वार-पलटवार है। इसलिए नए राग हैं। नई कविताएं है। लफ्जों की छेनी से नई मूर्तियां गढ़ी जा रही हैं। महिमा मंडित की जा रही हैं। …तो विरोधी खेमे की मूर्तियां खंडित भी की जा रही हैं। आप भी लोकतंत्र के उत्सव का मजा लीजिए। पर, ध्यान रहे इन सियासी छेनियों का असर आपके संबंधों की तुरपाई पर न पड़े। रिश्तों की मिठास पर न पड़े। बहरहाल, आज पढ़ें गोरखपुर, पथरदेवा, बलिया नगर, बैरिया, रसड़ा, फेफना और बांसडीह में किस ओर बह रही है सियासी बयार…

शहर विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा प्रत्याशी हैं। पांच बार सांसद और पांच साल से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे योगी आदित्यनाथ के सामने अन्य दलों के सभी प्रत्याशी राजनीति के नए खिलाड़ी हैं। सपा ने भाजपा से आईं सुभावती शुक्ला, बसपा ने ख्वाजा शम्सुद्दीन और कांग्रेस ने चेतना पांडेय को मैदान में उतारा है। ये सभी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।

आंकड़ों पर निगाह डालें तो स्पष्ट हो जाता है कि शहर विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ है। जब भाजपा की लहर नहीं थी, तब भी कमल खिलता रहा है। पिछले 33 वर्षों से सीट पार्टी के पास है। अब योगी आदित्यनाथ प्रत्याशी बनाए गए हैं। वह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसका प्रभाव भी मतदाताओं में दिखता है। मतदाता कहते हैं कि योगी की अगुवाई में ही भाजपा उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ रही है। चुनाव का मुख्य मुद्दा विकास ही है। गोरखपुर की सूरत बदल गई है। किसी तरह के पहचान का संकट नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इलाज की सुविधा मिल चुकी है। फोरलेन सड़कों का जाल बिछ गया है।

गोरक्षपीठ का गहरा प्रभाव : शहर विधानसभा क्षेत्र में ही गोरखनाथ मठ है। इसका खासा प्रभाव रहता है। गोरक्षपीठाधीश्वर रहे महंत अवेद्यनाथ गोरखपुर शहर लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे। उन्होंनेे जैसा चाहा, वैसे ही राजनीतिक समीकरण बनते रहे। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही गोरक्षपीठाधीश्वर हैं।
 

हिंदू महासभा से पहला चुनाव जीते थे डॉ. आरएमडी अग्रवाल
शहर विधानसभा क्षेत्र में गोरक्षपीठ का गहरा प्रभाव है। इसी का नतीजा रहा कि 2002 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। हुआ यूं था कि भाजपा से खटपट के बाद तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने हिंदू महासभा से डॉ. आरएमडी अग्रवाल को चुनाव लड़ाने का एलान कर दिया था। हिंदू महासभा के प्रत्याशी को जीत मिली। हालांकि, चुनाव जीतने के बाद ही डॉ. आरएमडी भाजपा के संपर्क में आ गए। इसके बाद के चुनाव भाजपा से लड़े और जीतकर लखनऊ पहुंचते रहे।

हर बार बढ़ा  जीत का अंतर : इस सीट पर चुनाव में जीत का अंतर लगातार बढ़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन था। संयुक्त प्रत्याशी के रूप में राणा राहुल सिंह चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा प्रत्याशी डॉ. आरएमडी अग्रवाल को करीब 62 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली थी। इससे पहले 2002 में 18 हजार, 2007 में 28 हजार और 2012 में 48 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली थी। नगर विधायक अग्रवाल कहते हैं, क्षेत्र में विकास की गंगा बही है। एम्स, खाद कारखाना, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, रामगढ़ताल परियोजना, चौड़ी सड़कें व बेहतर लाइटिंग की व्यवस्थाओं को देखा जा सकता है। मुहल्लों में जो सड़कें बनीं, वह 50 वर्षों तक नहीं टूटेंगी।

मतदाताओं के दिल की बात
दरगहिया मौर्या टोला के नरसिंह मौर्या चुनावी चर्चा छिड़ते ही कहते हैं,  गोरखपुर का जितना विकास पांच सालों में हुआ, उतना कभी नहीं हुआ था। मंदी के दौर और कोरोना की वजह से महंगाई बढ़ी है। जनता परेशान भी है, लेकिन महंगाई के नाते विकास को दरकिनार करना ठीक नहीं है। योगी आदित्यनाथ को और मौका मिला तो गोरखपुर विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।

सहारा एस्टेट क्लस्टर बहार निवासी तूलिका त्रिपाठी कहती हैं, चुनाव का मुख्य एजेंडा विकास ही रहेगा। अब जरूरत महिला शिक्षा को और बेहतर बनाने की है। सराफा रेजिडेंसी बेतियाहाता निवासी खुशबू मोदी कहती हैं, यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिला है, इसलिए विकास की परियोजनाएं तेजी से पूरी हुई हैं। अब सड़कें चमाचम व चौड़ी हैं। बिजली संकट नहीं है। सुरक्षा का माहौल है। बहन-बेटियां सुरक्षित हैं। श्रीश्री गोपाल मंदिर समिति मोहद्दीपुर के अध्यक्ष दीपक कक्कड़ कहते हैं, सुुरक्षा का बेहतर माहौल बना है। कारोबार आसान हुआ है। किसी तरह का दबाव नहीं है। रंगदारी नहीं मांगी जा रही है। महिलाएं अब डरती नहीं हैं। देर रात भी अपने काम से बाहर जाती हैं। गोरखपुर को एम्स जैसी बड़ी सौगात मिली है। खाद कारखाना चलने लगा है। इससे विकास की गति तेज होगी। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

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