यूक्रेन से सुरक्षित लौटे यूपी के बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है। बच्चों ने कहा कि देश से 6000 किलोमीटर दूर युद्ध के बीच अपने लोगों की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार जैसा प्रयास कर रही है, उसने दूसरे देशों के साथी छात्रों को भी कायल बना दिया है। रोमानिया और हंगरी बॉर्डर तो केवल भारतीयों के लिए खुल रहे हैं। वहां पहुंचकर यह समझ आया कि मोदी है तो मुमकिन है।
युद्धग्रस्त क्षेत्र से लौटे बच्चों ने सीएम योगी से मुलाकात के दौरान बताया कि सीमा पार करते समय अन्य देश के बच्चे भी साथ थे। जब उन्हें पता चला कि भारत सरकार ने अपने देश के बच्चों की वापसी के लिए पूरा इंतजाम किया है, तो उन सबने बड़ी सराहना की। तब हमें लगा की देश में सशक्त सरकार कितनी जरूरी है।
बच्चों ने युद्ध शुरू होने से पूर्व भारतीय दूतावास से जारी एडवाइजरी और बंकर में बिताए दिनों को लेकर भी चर्चा की। छात्रों ने बताया कि एक ओर उनसे केंद्र सरकार के मंत्री, अधिकारी, दूतावास के अधिकारी संपर्क में थे, तो यहां यूपी में घर पर लेखपाल से लेकर जिलाधिकारी तक माता-पिता से लगातार संवाद में थे। ऐसे में मानसिक साहस भी बढ़ा। बच्चों ने दिल्ली में यूपी भवन में रुकने और फिर घर तक सरकारी वाहन से पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार भी जताया।
छात्रों ने कही ये बातें…
बाराबंकी के प्रज्ज्वल वर्मा ने कहा कि मैं खारकीव में था। इंडियन एंबेसी ने बहुत मदद की। केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह सर लगातार संपर्क में रहे। हम लोगों को पहले पोलैंड में होटल में ठहराया गया। फिर 3 मार्च को फ्लाइट से वापस आए। हमारा एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ।
लखनऊ की आकांक्षा चौरसिया ने बताया कि मैं वेनेसा में थी। शुरुआत में थोड़ी असुविधा हुई, डर भी लगा। लेकिन दूतावास के अधिकारियों से बातचीत होती थी। मैं रोमानिया बॉर्डर पहुंची, वहां सब लोग मौजूद थे। भोजन, होटल, कपड़े सब सरकार ने दिए। मुंबई लाया गया, फिर योगी जी ने घर तक पहुंचाया।
गोंडा के शिखर गुप्ता ने बताया कि खारकीव में 5 दिन बंकर में रहा। शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन दूतावास से संपर्क बनाए रखा। एक बार बॉर्डर पार किया फिर हमारे अधिकारी-मंत्री सब हमारे सामने थे। मेंटली काफी सपोर्ट मिला।
बहराइच के शिवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मैं तो कीव में ही था। वहां बहुत खतरा था। लेकिन हमें खुशी है कि हमने मोदी और योगी को अपना अभिभावक बनाया। यूक्रेन में एहसास हुआ कि मोदी और योगी हैं तो मुमकिन है।
नीलमथा लखनऊ के आशीष राजा ने कहा कि मैं इवानो फ्रैंकीव्स्क में था, वहां से किसी तरह रोमानिया बॉर्डर पहुंचा। जहां से भारतीय दूतावास के अधिकारियों की मदद से 28 फरवरी को वतन वापसी की। सीएम योगी ने पहले हमसे बातचीत कर अनुभव को सुना। इसके बाद हमने भविष्य की चिंता जाहिर की तो उन्होंने कहा कि किसी का भविष्य खराब नहीं होगा। आगे की पढ़ाई भारत में कराने का रास्ता निकाला जाएगा।
इन छात्रों ने कही ये बात
लालबाग लखनऊ की सृष्टि अली ने कहा कि मैं ओडेसा शहर में थी। वहां से 3 मार्च को लखनऊ आई। बंकर से टीचर आज भी ऑनलाइन क्लास लेकर पढ़ा रहे हैं। यह सब अनुभव हमने सीएम से साझा किए। सीएम से उम्मीद है कि अगर यहां आगे की पढ़ाई की व्यवथा हो जाए तो काफी अच्छा रहेगा। उम्मीद है कि सरकार भविष्य को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लेगी।
राजाजीपुरम लखनऊ के शीनम मोंगिया ने कहा कि मैं ईस्टर्न बॉर्डर के शहर में थी, लेकिन वहां से हंगरी पहुंचने के बीच बहुत कुछ झेला। ट्रेन में चढ़ने के लिए घूस देने से लेकर ट्रेन में शौचालय के पास बैठकर सफर करने की दास्तां शामिल है। 6 दिन में इतना कुछ सहा कि मैं बीमार हो गई। 3 मार्च को लखनऊ पहुंची तो सुकून मिला। सीएम ने हमारे भविष्य को सुरक्षित करने का आश्वासन दिया है।
गोमतीनगर लखनऊ की क्यूरी श्रीवास्तव ने कहा कि सीएम से मिलकर अच्छा लगा। हमने उनसे अपने अनुभव के साथ भविष्य को लेकर होने वाली चिंता भी साझा की। उन्होंने आश्वस्त किया है कि जल्द भविष्य को लेकर उचित रास्ता निकालेंगे। किसी का भविष्य खराब नहीं होगा।
अलीगंज लखनऊ के आर्यमान प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जब खुद हमसे हमारे अनुभव को जाना तो अपनापन लगा। हम उनसे चंद मिनटों में ही घुल मिल गए। उन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि भारत में ही आगे की पढ़ाई का रास्ता निकाला जाएगा। उम्मीद है सब कुछ ठीक हो जाएगा।