प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा है कि राज्य के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है। प्रदेश सरकार गरीबों के कल्याण को ध्यान में रखकर काम कर रही है। यह आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट की प्राथमिकता में गरीब होंगे। बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, कृषि आधारित स्टार्ट-अप व रोजगार पर जोर नजर आएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे लगे खजाना लुटाया जा रहा है। ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र’ के वादों को पूरा करने के साथ राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।
वित्त मंत्री वृहस्पतिवार को विधानभवन स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने वित्तीय वर्ष 2021-22 की राजस्व प्राप्तियों की जानकारी देने के बाद एक सवाल के जवाब में यह बात कही। मंत्री से लोक कल्याणकारी योजनाओं को लाने के पहले खजाने के वित्तीय बोझ के आकलन संबंधी सुप्रीमकोर्ट की टिप्पणी व लगातार राशन वितरण को लेकर सवाल हुआ था। खन्ना ने कहा कि शीर्ष कोर्ट का फैसले को देखा है। उसके मत से पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा कि मुफ्त राशन का वितरण कोविड महामारी में गरीबों के सामने आए रोटी के संकट के समाधान के लिए किया गया है। सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि राज्य के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है। बजट की प्राथमिकताएं गरीबों के लिए होंगी।
उन्होंने कहा कि बीते विधानसभा चुनाव में कुछ दलों ने जिस तरह के वादे किए, एजेंडे को आगे बढ़ाया, वह सबने देखा है। यह बड़ी चुनौती थी। मगर, भाजपा ने जो कहा था-करके दिखाया। जनता ने मोदी व योगी पर फिर विश्वास किया और भाजपा के संकल्प-पत्र पर मुहर लगाई। 2017 की अपेक्षा 2022 में मत प्रतिशत भी बढ़ाया। विपक्ष की जनता में विश्वसनीयता नहीं है। ऐसे दलों को 10 सीट भी नहीं मिली। उन्होंने कहाकि संकल्प-पत्र में जो वादे किए हैं, उसे पूरा किया जाएगा। लेकिन, वित्तीय प्रबंधन पर प्रभाव डालने वाला कुछ नहीं करेंगे।
गत वर्ष की अपेक्षा 25,226 करोड़ की अधिक कमाई
प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रमुख कर-करतेत्तर मदों में गत वित्तीय वर्ष की अपेक्षा 25,226 करोड़ रुपये अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। भूतत्व एवं खनिकर्म को छोड़ दें तो सभी प्रमुख मदों में प्राप्ति बढ़ी है। हालांकि यह 2021-22 में तय लक्ष्य का लगभग 80 प्रतिशत ही रही। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में 1,22,616.48 करोड़ की प्राप्ति हुई थी। जबकि, वित्त वर्ष 2021-22 में 1,47,843 करोड़ की प्राप्ति हुई है। यह 25226.62 करोड़ रुपये ज्यादा है। उन्होंने बताया कि जीएसटी, वैट, आबकारी, स्टांप व निबंधन तथा परिवहन के मदों में गत वर्ष की अपेक्षा अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। लेकिन, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की प्राप्ति में विभिन्न कारणों से 456.38 करोड़ रुपये की कमी आई है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद वित्तीय प्रबंधन व अनुशासन बेहतर रहा। आगे और बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
पिछले वर्ष की अपेक्षा 58 हजार करोड़ खर्च भी ज्यादा
खन्ना ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में मूल बजट व दो अनुपूरक अनुदान मिलाकर बजट का कुल आकार 5,66,051.83 करोड़ रुपये पहुंच गया। 31 मार्च 2022 तक 4,34,319.38 करोड़ रुपये खर्च हुए। यह बजट अनुमान का लगभग 77 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 31 मार्च तक कुल बजट अनुमान 5,12,860.72 करोड़ रुपये था और 3,76,456.46 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। यह बजट अनुमान के सापेक्ष 73 प्रतिशत था। इस तरह 2020-21 की अपेक्षा 2021-22 में 58,862.92 करोड़ रुपये (लगभग 16 प्रतिशत) अधिक खर्च हुए हैं।