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छह साल से नहीं पूरी हो पाई पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की विभागीय जांच, पढ़े पूरी ख़बर

वन भूमि कब्जाने के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की विभागीय जांच छह साल से पूरी नहीं हो पाई है। सिद्धू को 2016 में रिटायरमेंट से एक दिन पहले चार्जशीट सौंपी गई थी। फिलहाल वो अंतरिम पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर मसूरी वन प्रभाग के अधीन वीरगिरवाली, राजपुर के आरक्षित वन क्षेत्र में भूमि खरीदने और पेड़ों का अवैध कटान के आरोप हैं।
तत्कालीन दरोगा निर्विकार सिंह ने उन पर पद का दुरुपयोग करते हुए जांच प्रभावित करने के लिए उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था। इस पर शासन ने उन्हें सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले 29 अप्रैल 2016 को चार्जशीट थमा दी थी। इस कारण गृह विभाग ने उनकी ग्रेच्युटी रोककर मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी थी। मामले में कई जांच अधिकारी नामित किए, पर जांच आगे नहीं बढ़ी। इस पर 2019 में रिटायर्ड नौकरशाह डीके कोटिया को जांच सौंपी गई। लेकिन कोटिया की रिपोर्ट भी अब तक विभाग को नहीं मिली है। इस कारण सिद्धू को विभाग शर्त के साथ अंतरिम पेंशन ही जारी कर रहा है। जांच पूरी न होने तक उनकी ग्रेच्युटी रोकी गई है। रिटायर्ड नौकरशाहों की जांच पर सवाल:इस मामले ने रिटायर्ड नौकरशाहों को जांच का काम सौंपे जाने पर सवाल उठ रहे हैं। डीके कोटिया इससे पहले विधानसभा भर्ती प्रकरण की भी जांच कर चुके हैं। वो आयुष्मान सोसायटी के भी चेयरमैन हैं। साथ ही पूर्व में पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। और भी कई नौकरशाह समय-समय पर आयोगों या तमाम जांच कमेटियों के अध्यक्ष बनते रहे हैं। रतूड़ी और मित्तल को भी मिल रही अंतरिम पेंशन वर्ष 2003 के दरोगा भर्ती मामले में जांच का सामना कर रहे पूर्व डीजीपी पीडी रतूड़ी व एडीजी राकेश मित्तल भी अंतरिम पेंशन पा रहे हैं। उक्त मामला अभी कोर्ट में है, इसलिए फिलहाल गृह विभाग ने दोनों की ग्रेच्युटी जारी नहीं की है। इन दोनों को भी छह-छह माह की शर्त पर अंतरिम पेंशन जारी की जाती है।