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अस्थमा जागरूकता : केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने लोहिया पार्क में लगाया निःशुल्क कैम्प

लगाया

लखनऊ : ‘अस्थमा जागरूकता सप्ताह’ के अंर्तगत रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू द्वारा निःशुल्क अस्थमा शिविर एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन डा0 राम मनोहर लोहिया पार्क, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया। इस कार्यक्रम में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त, एडिशनल प्रोफेसर डा0 अजय कुमार वर्मा एवं रेजिडेन्ट डाक्टर्स- डा0 जय प्रकाश शुक्ला, डा0 विनीत, डा0 जगदीश, डा0 अमन व डा0 रंजीत ने पार्क में उपस्थित जन समुदाय को अस्थमा के प्रति जागरूक किया एवं 12 लोगों का निःशुल्क पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) भी किया गया। इसके अलावा 50 से ज्यादा लोगों को चिकित्सकीय परामर्श के साथ-साथ इन्हेलर व दवायें निशुल्क प्रदान की गयीं। इण्डियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने लोगों को बताया कि केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में अस्थमा एवं सांस के अन्य रोगों के लिए सोमवार से शनिवार तक प्रतिदिन ओ0पी0डी0 चलती है जिसमें आप सभी आकर फेफड़ों की क्षमता की जांच एवं समुचित इलाज करवा सकते हैं। डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि विश्व अस्थमा दिवस पर अस्थमा कि नयी गाईड लाईन जारी की गयी है। जिसके अनुसार दुनिया भर में 33.9 करोड़ और भारत में 3.7 करोड़ अस्थमा के रोगी हैं। रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक अस्थमा के रोगियों की संख्या विश्व में बढ़ कर 40 करोड़ तक हो सकती है।

इस अवसर पर इण्डियन कालेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एवं एप्लाइड इम्युनोलॉजी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने लोहिया पार्क में उपस्थित जनसमुदाय को अस्थमा के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि अस्थमा या दमा एक आनुवांशिक रोग है, जिसमें रोगी की सांस की नलियां अतिसंवेदनशील हो जाती हैं, एवं कुछ कारकों के प्रभाव से उनमें सूजन आ जाती है, जिससे रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है। ऐसे कारकों में धूल (घर या बाहर की) या पेपर की डस्ट, रसोई का धुऑ, नमी, सीलन, मौसम-परिवर्तन, सर्दी-जुकाम, धूम्रपान, फास्टफूड, मानसिक चिंता, पालतू जानवर एवं पेड़ पोधों एवं फूलों के परागकण तथा वायरस एवं बैक्टीरिया के संक्रमण आदि प्रमुख होते हैं। दो तिहाई से अधिक लोगों में दमा बचपन से ही प्रारम्भ हो जाता है। इसमें बच्चों को खांसी होना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, छींक आना व नाक बहना तथा बच्चे का सही विकास न हो पाना जैसे लक्षण होते हैं। शेष एक तिहाई लोगों में दमा के लक्षण युवा अवस्था में प्रारम्भ हाते हैं। इस तरह दमा बच्चों या युवावस्था में ही प्रारम्भ होने वाला रोग है। दमा के इलाज में इन्हेलर चिकित्सा सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें दवा की मात्रा का कम इस्तेमाल होता है, और असर सीधा एवं शीध्र होता है एवं दवा के कुप्रभाव बहुत ही कम होते हैं।

ज्ञात रहे, ’विश्व अस्थमा दिवस’ प्रति वर्ष मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इस वर्ष, विश्व अस्थमा दिवस 2 मई 2023 को मनाया गया। इसका उद्देश्य दुनिया भर में अस्थमा की बीमारी और देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम ’अस्थमा केयर फॉर ऑल’ अर्थात ’अस्थमा से सभी की देख भाल’ है। विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा द्वारा प्रतिवर्ष किया जाता है। सन् 1998 में, बार्सिलोना, स्पेन में पहली विश्व अस्थमा बैठक की गयी थी और 35 से अधिक देशों में पहला विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया था।