सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ काशी तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण का समापन
कहा, काशी तमिल संगमम ने सामंजस्यपूर्ण और एकीकृत भारत की नींव डाली है
–सुरेश गांधी
वाराणसी। काशी तमिल संगमाम के द्वितीय संस्करण का समापन शनिवार को नमो घाट पर आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच हो गया। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार, केंद्रीय शिक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, सूबे के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल, आयुष एवं खाद्य सुरक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु, आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर पीके जैन, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम सहित आयुष मंत्री के पीआरओ गौरव राठी के अलावा कई गणमान्य अतिथि शामिल रहे।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने कहा कि जब हम यहां प्राचीन शहर काशी में काशी तमिल संगमम के समापन सत्र के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्र हुए हैं, तो हम खुद को काशी और तमिलनाडु की दो समृद्ध सांस्कृतिक धाराओं के संगम पर देखते हैं। जो सदियों से हमारे देश की टेपेस्ट्री में प्रवाहित हो रहा है। डॉ. सरकार ने कहा, मैं “काशीपंचकम“ से एक श्लोक से अपने संबोधन की शुरुआत करना चाहूंगा। काश्यां हि काशते काशी काशी सर्वप्रर्व काशिका। सा काशी विदिता येन तने प्राप्ताहि काशिका। अर्थात काशी आत्मज्ञान की रोशनी से जगमगाती है। उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम के इस पहल ने न केवल छात्रों के आयाम को व्यापक बनाया है बल्कि एक सामंजस्यपूर्ण और एकीकृत भारत की नींव भी डाली है। इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, अपनी दूरदर्शी दृष्टि के साथ, विविधता और एक भारत- श्रेष्ठ भारत की भावना पर बल देती है।
दक्षिण भारत की प्रचलित विधा है सिद्धा, इसके जनक थे महर्षि अगस्तय : डॉ.दयाशंकर
केंद्रीय शिक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा समापन सत्र में आप सभी को देखकर मुझे काफी में खुशी हो रही है। काशी तमिल संगमम का दूसरा संस्करण, वास्तव में परिणीति नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री के ’एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के दृष्टिकोण की शुरुआत है, जिसकी भावना देश की एकता और अखंडता को फिर से मजबूत करने की क्षमता अपने अंदर समाहित रखती है। काशी तमिल संगमम प्राचीनता और आधुनिकता दोनों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि भारत के दो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से स्थापित करने के लिए सांस्कृतिक संगम का एक लैबोरेटरी है। हमारी समृद्ध संस्कृति एक अद्वितीय मिश्रण है, जो दुनिया भर में तेजी से हो रही प्रगति को अपनाते हुए हमारे देश की परंपराओं को सुरक्षित करती है।
खानपान और पहनावा अलग-अलग लेकिन हम सभी भारतीय एक ही : रवीन्द्र जायसवाल
स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने कहा कि संपूर्ण भारत के लोगों को पता चला कि हमारे खानपान और पहनावा अलग-अलग होंगे, लेकिन हम सभी भारतीय एक ही होंगे। प्रदेश सरकार में आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा ने कहा कि भूत भावन भगवान शंकर की नगरी काशी में तमिल डेलीगेट्स का अभिनंदन करता हूं। समापन का दिन है। 6 हजार वर्ष पुरानी बात करूंगा। महर्षि अगस्तय पहले यात्री थे, जिन्होंने तीनों समुद्र सोख लिया था। पहले यात्री थे जिन्होंने उत्तर से दक्षिण की यात्रा की। विंध्याचल की पहाड़ी ने अपने कद को छोटा किया और मुनि ने पहाड़ पार किया। दक्षिण भारत में पहुंचे। दक्षिण भारत की प्रचलित विधा है सिद्धा। इसके जनक थे महर्षि अगस्तय। आदि शंकराचार्य जब तमिलनाडु से काशी आते हैं तो शंकर की इस नगरी ने उन्हें अद्वैत का ज्ञान दिया।आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रो. पीके जैन ने कहा कि पिछले कई गंगा किनारे संस्कृति की अविरल धारा बही। इसका लाभ तमिलनाडु और काशीवासियों ने बड़े आनंदपूर्वक लिया।
विधि नागर के कथक पर डेलीगेट्स हुए मुग्ध
काशी-तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की 13वीं संध्या पर काशी और तमिलनाडु के नौ सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। शनिवार की शाम काशी और तमिलनाडुके शास्त्रीय और लोक नृत्य, लोक गायन और वाद्य वादन आदि प्रस्तुतियों ने नमो घाट को मंत्रमुग्ध कर दिया। मां गंगा के तट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाकर समस्त डेलीगेट्स काफी मुग्ध नजर आए। काशी तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण के सांस्कृतिक संध्या का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया है। बीएचयू की डॉ. विधि नागर के कथक की भाव-भंगिमा और घूंघुराओं की झन्कार से लोगों को मुग्ध कर दिया। एस अरुण कुमार और टीम ने सकाकू चियट्टम, मान कोबट्टम और थपट्टम पर प्रस्तुति दी। कलाई मणि और टीम ने नैयांडिमेलम पर मनमोहक प्रस्तुति दी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व डीन प्रो. राजेश शाह और उनकी वाद्य यंत्रों की टीम ने वाद्य यंत्रों की ध्वनि से नमो घाट को संगीतमय कर दिया। हर कोई यहां झूमता नजर आया। पी श्रवणन और उनकी टीम ने भरतनाट्यम, प्रो. प्रेमचंद होंबल और टीम ने नृत्य की प्रस्तुति दी। कलाईमणि, नूगरकानी, सलेम ने डमी हॉर्स, पीकॉक और बुल डांस करके लोगों का काफी मनोरंजन किया। वाराणसी से डॉ. कुमार अंबरीश चंचल और टीम ने गायन की प्रस्तुत ऐसी दी कि पूरा नमो घाट का माहौल भक्तिमय हो गया। जे भारत और टीम ने सिलामपट्टम और एम माथियालगन ने थपट्टम पर प्रस्तुति देकर लोगों को मुग्ध कर दिया।
नमो घाट पर आज से होगा काशी तेलगू संगमम
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावूर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “एक भारत श्रेष्ट भारत“ के अन्तर्गत वाराणसी के नमो घाट पर 31 दिसम्बर से 02 जनवरी तक ’काशी तेलगू संगमम’ कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा जिसमें तेलगू के लगभग 90 कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रस्तुतियां की जायेंगी। यह आयोजन प्रतिदिन दोपहर 2.30 बजे से सायंकाल 5.30 बजे तक आयोजित किया जायेगा।