लखनऊ : रिवुलिस इरीगेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेटर शारदा सहायक समादेश विकास प्राधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा “कमांड एरिया डेवलपमेंट थ्रू माइक्रो-इरीगेशन” पर तकनीकी कार्यशाला शुक्रवार को यहां एक होटल में आयोजित की गयी। कार्यशाला का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कार्यशाला की शुरुआत करते हुए डॉ. योगेश बंधु स्टेट कोऑर्डिनेटर, वर्ल्ड बैंक ने माइक्रो-इरीगेशन से सम्बंधित समस्त प्रतिनिधियों का स्वागत किया। कार्यशाला में राजीव यादव अपर आयुक्त ग्रेटर शारदा सहायक परियोजना द्वारा माइक्रो-इरीगेशन की आवयश्कता को फसल उत्पादन में अनिवार्य बताते हुए जल संरक्षण करने पर जोर दिया। डॉ. हीरा लाल अध्यक्ष एवं प्रशासक ग्रेटर शारदा सहायक ने लोगो से जलवायु परिवर्तन पर सोच विकसित करने और जल संरक्षण पर कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें खेत की सिंचाई नहीं बल्कि फसल की सिंचाई करनी है जिसके लिए पानी की हर एक बूंद का उपयोग करना है। उन्होंने कम पानी में अधिक फसल अधिक सिंचाई पर जोर दिया। डॉ. हीरा लाल ने आये हुए समस्त माइक्रो-इरीगेशन के प्रतिनिधियों से अपील की कि वह एक-एक गांव को गोद लें और वहां पर माइक्रो-इरीगेशन की पद्धति को अपनाकर एक मॉडल प्रस्तुत करें जिससे प्रेरित होकर अन्य गॉव के लोग भी इस पद्धति को अपना कर जल संरक्षण की दिशा में अपना प्रयास कर सकें।
प्रोफेसर मान सिंह रिटायर्ड प्रोजेक्ट डायरेक्टर वाटर टेक्नोलॉजी सेंटर नई दिल्ली द्वारा ड्रिप इरीगेशन को सबसे श्रेष्ठ माइक्रो-इरीगेशन का तरीका बताया। उन्होंने बताया कि विगत कई दशकों के प्रयोग से यह सिद्ध हुआ है कि ड्रिप इरीगेशन प्रणाली से सभी देसी व विदेशी साग-सब्जियों की खेती में 50% तक पानी का बचाव हुआ है तथा फसल उत्पादन में दो से तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने प्याज, लहसुन, कद्दू, भिंडी, लोबिया, मूंगफली, मसूर के फसलों में माइक्रो-इरीगेशन का उपयोग करने का बल दिया। प्रोफेसर रुपिंदर ओबेरॉय किरोड़ीमल कॉलेज नई दिल्ली ने कहा कि वर्तमान में विश्व में जल संकट सबसे बड़ी चुनौती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह समस्या और भी जटिल होती जा रही है। इस संकट से निजात पाने के लिए हमें नवाचार की आवश्यकता है जिसके लिए माइक्रो-इरीगेशन सबसे उत्तम पद्धति है।
कार्यक्रम में रिवुलिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कौशल जायसवाल ने कहा कि रिवोलिस संस्था माइक्रो-इरीगेशन की दिशा में उठाये गए प्रत्येक कदम का समर्थन करती है, उन्होंने बताया कि माइक्रो-इरीगेशन से हम पानी की प्रत्येक बूँद का उपयोग कर सकते हैं। विभिन्न जिलों में कमांड डेवलपमेंट के लिए जो भी कार्य किये जायेंगे संस्था उसमे अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी। कार्यशाला में कई तकनीकी सत्र आयोजित किये गए जिसमे माइक्रो-इरीगेशन के उपयोग और उसकी उपयोगिता के सन्दर्भ में विस्तार से चर्चा की गयी। तकनीकी सत्र में रिवुलिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संतोष पाटिल, लाल बहादुर जोशी, अशोक मुद्गल कर, मुनीश गंगवार प्रेजिडेंट मॉडल गांव, आरके सिंह अपर निदेशक एग्रीकल्चर तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों और माइक्रो -इरीगेशन की कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने विचार रखे गए। कार्यक्रम का समापन डॉ योगेश बंधू स्टेट कोऑर्डिनेटर वर्ल्ड बैंक (WRG -2030) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।