ट्रंप प्रशासन के कार्यकारी आदेश में कहा गया था कि इराक, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन से कोई भी व्यक्ति 90 दिनों तक अमरीका नहीं आ सकेंगे। इसी आदेश के तहत अमरीका के शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम को 120 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। साथ ही सीरियाई शरणार्थियों के अमरीका में आने पर अनिश्चतकाल के लिए रोक लगा दी गई थी।
वैसे अमरीकी विभाग यूएस सेन्सस ब्यूरो के मुताबिक दुनियाभर में ऐसे लगभग 47 मुस्लिम देश हैं जिनसे अमरीका के कारोबारी रिश्ते हैं और साल 2015 में इन देशों के साथ 220 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। ब्यूरो के मुताबिक नवंबर 2016 तक इन देशों के साथ ये कारोबार करीब 195 अरब डॉलर तक पहुँच गया था।
ब्यूरो के रिकॉर्ड के अनुसार ट्रंप ने जिन मुस्लिम देशों को ट्रैवल बैन की सूची में डाला है, उनमें इराक को छोड़कर किसी दूसरे देश की अमरीकी व्यापार में हिस्सेदारी नाममात्र की है। जिन मुस्लिम बहुल देशों के अमरीका के साथ कारोबारी रिश्ते मजबूत हैं, वो देश इस सूची में नहीं हैं। जाने कौन देश है इस सूची में-
यूएस सेन्सस ब्यूरो के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2016 के 11 महीनों में सऊदी अरब को अमरीका का एक्सपोर्ट 31 अरब डॉलर तक पहुँच गया था। यही नहीं, अमरीका की कई कंपनियों ने अपनी उप कंपनियों (सब्सडिरियों) के मार्फत सऊदी अरब में अरबों डॉलर का निेवेश किया है,
जिनमें अकेले जनरल इलेक्ट्रिक ने ही 100 करोड़ डॉलर निवेश किया है। दिलचस्प बात ये है कि अमरीका पर 9/11 हमले के अभियुक्तों में से अधिकांश के तार सऊदी अरब से जुड़े थे।
3- संयुक्त अरब अमीरात
यूएन सेन्सस के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2016 में नवंबर तक अमरीका का अमीरात के साथ व्यापार 23 अरब डॉलर के आंकड़े को छू गया था। सैकड़ों की तादाद में अमरीकी कंपनियां संयुक्त अरब अमीरात में काम कर रही हैं। बोइंग जैसी कई अमरीकी कंपनियों के मध्य पूर्व के मुख्यालय दुबई में हैं।
4- इंडोनेशिया
7- कुवैत
कुवैत में अमरीकी टेक्नोलॉजी, सेवाओं और उत्पादों की भारी मांग है। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि 90 के दशक में कुवैत पर सद्दाम हुसैन के हमले के बाद अमरीका ने ही कुवैत की मदद की थी। इसके बाद से कुवैत में बड़ी तादाद में अमरीकी कंपनियां काम कर रही हैं।