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ये हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रेस में सबसे आगे

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अशोक कुमार गुप्ता ,लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ प्रदेश में सरकार बनाने जा रही हैं। लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा? यह अभी तक तय नहीं हो पाया है।इसके पीछे का कारण जो 2014 से गैर यादव पिछड़ी जाति और गैर जाटव दलित वोट बैक मुख्यमंत्री के नाम के खुलासे के बाद खिसक न जाए इसी लिए अमित शाह को माथापच्ची करनी पड रही है ।  राजनीतिक पंड़ितों द्वारा अनुमान लगाना जारी है। अनुमान है कि कई कद्दावर और चर्चित चेहरों के बीच एक नया और चौंकाने वाला नाम सामने आएगा। इस रेस में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, लखनऊ के मेयर और भाजपा नेता दिनेश शर्मा और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा और आठ बार के विधायक सुरेश खन्ना आगे चल रहे हैं। इनमें से किस पर मुहर लगेगी अभी कह पाना मुश्किल है। लेकिन जो मायावती  और अखिलेश के जातीय गणित को बिगाड़ सके उसी चेहरा की तालाश है बीजेपी शीर्ष नेत्रित्व को जिसके पास मॉस वोट बैक हो व्ही बनेगा यूपी का सीएम । क्योकि नरेंद्र मोदीको वर्तमान समीकरण साधे रखना लोकसभा चुनाव तक जरूरी है । ऐसा नही की मायावती और अखिलेश का बेस वोट बैक खिसका है इन दोनों पार्टियों को वोट मिला है लेकिन गैर यादव पिछडो और गैर जाटव दलितों ने इनका खेल बिगाड़ और बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिलाया  । बीजेपी इस समीकरण को नजर अंदाज किया तो दोनों पार्टिया इन जातियों पर तेजी से पकड़ बनाना शुरू करेंगी ।

केशव प्रसाद मौर्य
keshav-prasad-maurya-7-08-1460117669सीएम की रेस में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे आगे है। पार्टी के आलाकमान चाहते है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री साफ-सुथरी छवि का शख्स होगा जो प्रदेश से जुड़ा हो। प्रदेश की सियासत के हिसाब से सीएम पद के दावेदारों में केशव प्रसाद मौर्य फिट बैठते हैं। केशव प्रसाद को चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। केशव मौर्य भी संघ से जुड़े रहे हैं और बीजेपी के असरदार नेताओं में शुमार हैं। केशव मौर्य विवादों से दूर रहे हैं। प्रदेश में भाजपा ने जिस वोट बैंक पर नजर डाली थी केशव मौर्य उसी से आते हैं। वह पूर्वांचल से भी हैं जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य फोकस रहा है। इससे केशव मौर्य की दावेदारी मजबूत नजर आ रही है।

 

सतीस महाना

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सतीस महाना पिछले सात बार से कानपुर से जीत दर्ज़ करते आ रहे हैं. बीजेपी को इस बार ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ों का बंपर वोट मिला है. इसलिए पार्टी किसी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है. अगर पिछड़े वर्ग से सीएम बनाया गया तो सवर्ण बिदक सकते हैं और अगर सवर्ण बनाया गया तो पिछड़े नाराज हो सकते हैं. ऐसे में जानकारों का मानना है कि महाना इसीलिए इस सांचे में फिट हो रहे हैं क्योंकि वो पंजाबी खत्री हैं और उनके आने से किसी जाति के लोगों को ऐतराज़ नहीं होगा

खबरों के मुताबिक महाना आरएसएस में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके हैं और यह बात उनके पक्ष में जा रही है. बीजेपी संसदीय दल की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो लाइम लाइट में नहीं रहते, लेकिन काम अच्छा करते हैं. पीएम के इस बयान को महाना की कार्यशैली से जोड़कर देखा जा रहा है.

 

मनोज सिन्हा
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यूपी के सीएम के दावेदारों में  केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। पूर्वांचल से आने वाले सिन्हा के कामकाज की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं और पूर्वांचल में उनका खासा प्रभाव रहा है। वह संघ से जुड़े रहे हैं और कहा जाता है कि संघ की इच्छा से ही उन्हें मंत्री बनाया गया था।

 

दिनेश शर्मा
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लखनऊ के मेयर और भाजपा नेता दिनेश शर्मा उन चेहरों में शामिल है जिन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां मिलती रही हैं। चाहे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाना हो या फिर गुजरात का पार्टी प्रभारी चुनना। 2014 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने पार्टी के सदस्यता अभियान को गति दी और भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दर्जा दिलाया। 2014 में राजनाथ सिंह को जब लखनऊ से उम्मीदवार बनाया गया तो दिनेश शर्मा ने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी।

सुरेश कुमार खन्ना
Suresh-Khanna-580x395सुरेश कुमार खन्ना शाहजहांपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 8वीं बार जीते हैं। सुरेश कुमार खन्ना को 1 लाख 7 हजार 34 वोट मिले हैं। उन्होंने सपा प्रत्याशी तनवीर खान 19203 वोटों से हराया। सपा प्रत्याशी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद करीबी तनवीर खान को 81531 वोट मिले हैं।

श्रीकांत शर्मा 
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भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। साफ छवि के श्रीकांत शर्मा ने पहली बार चुनाव लड़े और एक लाख से ज्यादा मतों से चुनाव जीते। वृंदावन से चुनाव लड़ने वाले शर्मा को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अरुण जेटली का करीबी होने का फायदा मिल सकता है। विवादों में न रहने वाले श्रीकांत शर्मा सीएम पद के लिए सबसे ज्यादा फिट माने जा रहे हैं।