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इन लोगों ने किया था व्लादिमीर पुतिन का विरोध, आज भी रहस्य है इनकी मौत

मास्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बारे में एक दिलचस्प बात सामने आई है. पिछले कुछ वर्षों में व्लादिमीर पुतिन या उनकी नीतियों का विरोध करने वाले लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पिछले गुरुवार को यूक्रेन की राजधानी कीव में रूस के निर्वासित पूर्व सांसद डेनिस वोरोनेन्कोव की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वह यूक्रेन के अपदस्थ नेता विक्टर यांकोविच के खिलाफ देशद्रोह मामले के अहम गवाह थे. यूक्रेन ने इस हत्या का आरोप रूस पर लगाया है. विक्टर यांकोविच ने मार्च 2014 में क्रीमिया को अलग करने को लेकर पुतिन सरकार की आलोचना की थी. इस हत्या के बाद एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है कि व्लादिमीर पुतिन या उनकी नीतियों का विरोध करने वाले लोगों हत्या हो जाती है. आइए हम आपको ऐसे ही 10 संदिग्ध लोगों की मौत के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने व्लादिमीर पुतिन का विरोध किया था.

vladimir-putin-reuters_650x400_714904108561. बोरिश नेम्तसोव, 2015

द वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक बोरिश नेम्तसोव 1990 में सोवियत रूस में युवाओं के बीच लोकप्रिय नेता थे. वे बाद में रूस के उपप्रधानमंत्री भी बने थे. उन्हें देश के प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार भी माना जाता था, लेकिन साल 2000 में व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बन गए. इसके बाद नेम्तसोव विपक्ष के नेता बने. साल 2011 में नेम्तसोव ने संसदीय चुनाव परिणाम के विरोध में भारी संख्या में लोगों के साथ रूस की सड़कों पर उतरे थे. नेम्तसो ने भी क्रीमिया को रूस से अलग करने के फैसले पर पुतिन सरकार का बड़े स्तर पर विरोध किया था. साल 2015 में नेम्तसोव की हत्या उस समय हुई है जब उनकी एक दिन बाद ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शासन के खिलाफ आंदोलन करने की योजना थी. क्रेमलिन की ओर से कहा गया था कि पुतिन स्वयं मामले की जांच की निगरानी करेंगे. नेम्तसोव आखिरी दिनों में पुतिन के कटु आलोचक थे. उन्होंने सरकार की कथित अक्षमता, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और क्रेमलिन की यूक्रेन नीति का कड़ा विरोध किया था. रूसी गृह मंत्रालय ने बताया कि नेम्तसोव मध्यरात्रि के बाद क्रेमलिन के पास टहल रहे थे कि तभी एक कार से उन्हें चार गोलियां मारी गईं. नेम्तसोव यूक्रेन की एक महिला जानकार के साथ टहल रहे थे, कि तभी वहां एक वाहन आया और उसमें सवार अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. हमले में महिला को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.

2. बोरिश बेरेजोव्स्की, 2013

रूस के प्रख्यात उद्योगपति और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी बोरिस बेरेजोव्स्की लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे थे. साल 2013 में वे लंदन के अपने घर के बाहर मृत पाए गए थे. बेरेजोव्स्की रूस में एक वांछित व्यक्ति थे. क्रेमलिन सत्ता में कभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बेरेजोव्स्की के भाग्य का पुतिन के शासनकाल में पतन होने लगा और इसी वजह से वो साल 2000 में ब्रिटेन चले गए थे. 1990 के दशक में बोरिस बेरेजोव्स्की रूस के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक थे. बेरेजोव्स्की का व्यापार 1990 के दशक में अपने चरम पर था जब वो विदेशी मर्सिडीज कारें और रूस-निर्मित महंगी कारें बेचते थे. उन्होंने एक गणितज्ञ, एक कंप्यूटर प्रोग्रामर और एक कार व्यवसायी के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और बाद में सत्ता के इतने करीब पहुंचे. साल 2012 में बेरेजोव्स्की को करीब तीन अरब पौंड का घाटा हुआ था जो उन्हें चेल्सी फुटबॉल क्लब के मालिक रोमन अब्रामोविक को चुकाना पड़ा था. बेरेजोव्स्की पुतिन के उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन बाद में वो उनके सबसे बड़े आलोचक बन गए थे.

3. स्टानिस्लाव मार्केलोव और अनास्तासिया बाबरोवा, 2009 

स्टानिस्लाव मार्केलोव मनवाधिकार आयोग के वकील थे. वे चेचन नागरिकों पर रूसी सेना की ओर से किए गए अत्याचार के खिलाफ  मानवाधिकार हनन का केस लड़ रहे थे. युवा पत्रकार अनास्तासिया बाबरोवा अपने आलेखों से स्टानिस्लाव की मदद कर कर रहे थे. क्रेमलिन के नजदीक 2006 में मास्क पहनकर आए हमलावर ने अनास्तासिया की गोली मारकर हत्या कर दी. उनकी मदद करने वाले नोवाया गजेता के पत्रकार अनास्तासिया को भी उसी साल गोली मार दी गई. रूसी अधिकारियों ने कहा कि ये दोनों नाजीवाद को एक दोबारा स्थापति करने की कोशिश में लगे थे.

4. सर्गेई मैग्निट्स्की, 2009

वकील सर्गेई मैग्निट्स्की की हत्या साल 2009 नवंबर के महीने में पुलिस हिरासत में हुई थी. आरोप है कि पुलिस ने उन्हें बुरी तरीके से पीटा. इसके बाद समय पर उपचार नहीं कराने के चलते उनकी मौत हो गई. बताया जाता है कि वकील सर्गेई मैग्निट्स्की उन दिनों ब्रिटिश-अमेरिकी कारोबारी विलियम ब्रोडर की ओर से बड़े पैमाने पर की गई टैक्स चोरी के मामले को उजागर करने में जुटे थे.

5. नतालिया एस्तेमिरोवा, 2009 

सामाजिक कार्यकर्ता का शव रूस के उत्तरी काकेशश में मिला था. नतालिया के सहयोगी कार्यकर्ता के मुताबिक एक वैन में जबरन खींच कर नतालिया का अपहरण किया गया था. नतालिया चेचन्या में अपने घर से निकल रही थीं जब ये वारदात हुई. नतालिया की लाश इनगुस्तिया में मिली. उनके सिर और छाती पर गोलियों के जख्म थे. नतालिया एक संस्था के लिए चेचन्या में रूसी सेना की ओर से किए गए मानवाधिकारों के हनन के मामलों की जांच कर रही थीं. उनकी जांच में ये भी शामिल था कि किस तरह सरकार समर्थित मिलीशिया ने घरों को जलाने की मुहिम छेड़ी थी. 

6. आन्ना पोलितकोव्स्कावा, 2006

साल 2006 में सामाजिक कार्यकर्ता आन्ना पोलितकोव्स्कावा की हत्या की गई थी. पोलित्कोव्स्काया की 7अक्टूबर 2006 को उनके फ्लैट के सामने गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. अन्ना पोलित्कोव्स्काया अपनी रिपोर्टों में चेचन्या में मानवाधिकारों के हनन के बारे में लिखती थीं. उनके अखबार नोवाया गजेता के उपप्रधान संपादक और बहुत से दूसरे लोगों का मानना है कि इसी कारण सरकारी मिलीभगत के साथ पोलित्कोस्काया का सफाया कर दिया गया.

8. अलेक्जेंडर लिटविनिन्को, 2006 

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर केजीबी के पूर्व एजेंट अलेक्जेंडर लिटविनिन्को की हत्या कराने का आरोप लगते रहे हैं. केजीबी रूस की जासूस एजेंसी है. बताया जाता है कि अलेक्जेंडर लिटविनिन्को को चाय में रेडियोऐक्टिव जहर पोलोनियम-210 मिलाकर पिला दिया गया था. कहा जाता है कि लिटविनिन्को को रूस के कई अहम राज पता थे. वह 2000 में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रूस से भाग गए थे. ब्रिटेन की नागरिकता लेने के कुछ ही दिन बाद उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी.

9. सर्गेई यूसेनकोव, 2003

रूसी सेना कर्नल 1990 में संसद के पसंदीदा थे. रूस में उदारवाद लाने के लिए सर्गेई ने पार्टी बनाई थी. वे उदारवाद लाने के लिए मास्को में आंदोलन के लिए निकले थे, तभी उन्हें गोली मार दी गई थी. सर्गेई दावा का आरोप था कि पुतिन सरकार ने 1999 में एक अपार्टमेंट में धमाके करवाए थे. उनका कहना था कि वे इस घटना के सबूत जुटाकर पुतिन सरकार को बेनकाब करेंगे.

10. यूरी  सेकिवोचिन, 2003

पत्रकार और लेखकर यूरी सेकिवोचिन अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ नोवाया गजेता के लिए लिखते थे. उन्होंने 1988 में सोवियत संघ में हुए भ्रष्टाचार को भी अपनी लेखनी से उजागर किया था.  उन्होंने 1988 में फिलाडेल्फिया के घर में हुए धमाके के ऊपर भी लिखा था. वे 1999 में एक अपार्टमेंट में हुए धमाके की छानबीन भी कर रहे थे. साल 2003 में संदिग्ध बीमारी के चलते उनकी मौत हुई थी. उनकी अचानक मौत आज भी पहली बनी हुई है. उन्हें कुछ दिनों बाद ही संयुक्त राज्य अमेरिका जाना था, ठीक उससे पहले उनकी मौत हो गई.