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बड़ीखबर: 500 अरब डॉलर के घाटे पर डोनाल्ड ट्रंप ने जारी किए दो आदेश

अपना 500 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार घाटा खत्म करने के लिए अमेरिका कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके तहत दुनिया के 16 देशों के साथ व्यापार घाटे की समीक्षा की जाएगी। इन देशों में चीन और भारत भी शामिल हैं। ट्रंप ने एक और आदेश जारी किया जो सख्ती से एंटी डंपिंग कानूनों को लागू करने का प्रयास करता है। यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका उन सभी विदेशी आयातकों पर ड्यूटी वसूलता है जो उसके साथ धोखाधड़ी करते हैं। 
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ट्रंप ने यह जानकारी संवाददाताओं को दी। यह घोषणा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली बैठक के ठीक पहले की गई है जिसमें चीन पर निशाना साधा गया है। ट्रंप ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा – ‘जो लोग धोखाधड़ी कर देश के नियमों को तोड़ रहे हैं, उन्हें अब से इसके बेहद गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।’ राष्ट्रपति का पहला आदेश अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधि और वाणिज्य मंत्रालय को निर्देशित करता है कि वे पता करें कि सालाना 500 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा किन कारणों से हो रहा है। उन्हें 90 दिनों में अपनी रिपोर्ट देना होगी। इसका नेतृत्व वाणिज्य सचिव विल्बर रोस करेंगे।

व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए वाणिज्य सचिव विल्बर रोस ने भारत का नाम लेते हुए कहा कि – ‘भारत से अमेरिका को 24 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ है, जबकि चीन से उसे सबसे अधिक 347 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। जापान से 68.9, जर्मनी से 64.9, मैक्सिको से 63.2, आयरलैंड से 35.9 और वियतनाम से 32 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ है।’ इनके अलावा अन्य देशों में इटली, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, थाइलैंड, फ्रांस, स्विटजरलैंड, ताइवान, इंडोनेशिया और कनाडा भी शामिल हैं।

चीन के लिए चेतावनी

अमेरिका को होने वाले वार्षिक व्यापार घाटे में सबसे अधिक योगदान चीन का है, जबकि चीनी राष्ट्रपति इसी हफ्ते में ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। ऐसे में बैठक से ठीक पहले ट्रंप का इस आदेश को जारी करने को चीन के लिए एक चेतावनी भी माना जा रहा है, क्योंकि इस विश्लेषण के नतीजों के आधार पर ही प्रशासन आगे कोई भी निर्णय लेगा।
जरूरी नहीं कि सभी देश बदमाशी करते हों : रोस
अमेरिकी वाणिज्य सचिव विल्बर रोस ने कहा कि यदि कोई देश किसी ऐसे उत्पाद की सप्लाई कर रहा है, जिसकी आपूर्ति हम नहीं कर सकते तो उसे बदमाशी नहीं कहा जा सकता है। कुछ मामलों में इसका मतलब यह भी है कि वह देश उस उत्पाद को हमारे मुकाबले सस्ते में बना सकता है। इसलिए जरूरी नहीं कि वे सारे के सारे बदमाश ही हों जिनके नाम गिनाए गए हैं।