Friday , November 22 2024

बड़ीखबर: US ने खत्म किया H1B वीजा का कन्फ्यूजन, नहीं होगा भारतीय नौकरीपेशा युवाओं का नुकसान!

वित्त मंत्री अरुण जेटली अमेरिका यात्रा पर पहुंचे हुए हैं। उन्होंने अमेरिका के वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस से मुलाकात करके उनके सामने एच1 बी वीजा का मुद्दा उठाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेटली ने इस मामले पर जोर देते हुए इससे दोनों देशों को होने वाले फायदे भी बताए।
Arun-Jaitley2-l-pti
जेटली ने रॉस को अमेरिका और भारत के आर्थिक विकास में अत्यधिक कुशल भारतीयों के योगदान के बारे में बताया। बताया जा रहा कि रॉस ने एच1बी वीजा को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं और इस पर दोबारा विचार किए जाने की बात कही है।

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच कैबिनेट लेवल पर यह पहली मीटिंग हो रही है। अमेरिका जाने से पहले जेटली ने पत्रकारों से कहा कि आईटी इंडस्ट्री को इस बात से काफी चिंता है कि अगर ट्रंप सरकार ने इसमें कटौती कर दी तो फिर उनके बिजनेस पर काफी असर पड़ेगा।

दरअसल, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ अभियान के तहत अमेरिकियों के रोजगार की रक्षा करने वाले कार्यकारी आदेश पर दस्तखत किए थे। ट्रंप ने कहा कि इससे विदेशी तकनीकी कामगारों के लिए वीजा कार्यक्रम में सुधार होगा और अमेरिकी कंपनियां संघीय कांट्रेक्ट के तहत अपने देश के बेरोजगारों को नौकरियां मुहैया करा सकेंगी।

इस आदेश का सबसे बड़ा झटका भारत के इंफोटेक उद्योग पर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका में एच-1 बी वीजा के तहत सबसे ज्यादा नौकरियों पर भारतीयों का ही कब्जा है। ट्रंप प्रशासन की दलील है कि एच-1 बी वीजा का दुरुपयोग रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। क्योंकि, भारतीय युवा तकनीकी रूप से पेशेवर होते हैं और कम वेतन पर अधिक काम करने में सक्षम होते हैं इसलिए कंपनियां शुरू से इस आदेश का विरोध करती रही हैं।

भारतीयों पर पड़ेगा सबसे अधिक प्रभाव

ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश के बाद अमेरिका में एच-1 बी वीजा जैसी सुविधाएं सीमित हो जाएगी और अमेरिकन कंपनियों को अपने ही देश की कंपनियों व कामगारों से उत्पाद या सेवाएं लेना होंगी। इस कारण अमेरिकी व भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी कामगारों को नौकरी देने की शर्तों की सीमा बढ़ जाएगी।

फिलहाल ये कंपनियां इस नाम पर भर्तियां करती हैं कि अमेरिकी कामगार या तो काम करना नहीं चाहते हैं अथवा वे सक्षम नहीं हैं। इससे प्रति वर्ष 85 हजार वीजा कामगार प्रभावित होंगे, जिनमें आधे से ज्यादा भारतीय होते हैं।