संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान मिलिट्री कोर्ट की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि मिलिट्री कोर्ट रैंक के आधार पर चलते हैं और एकतरफा सुनवाई करने के लिए कुख्यात हैं। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से कहा है कि वो कथित आतंकवाद से जुड़े मामलों में मिलिट्री कोर्ट पर निर्भर रहना बंद करे। यूएन ने कहा है कि सामान्य नागरिकों के आपराधिक मुकदमों को सिविल कोर्ट्स में चलाया जाए।
कुलभूषण जाधव मामले में भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में गया और कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी-अपनी दलील रखने का मौका दिया। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान के रवैये की कड़ी आलोचना की। यूएन ने पाकिस्तान मिलिट्री कोर्ट ने सेना पर निर्भर है और इसलिए स्वतंत्र और पारदर्शी नहीं है।
‘यूएन कमेटी अगेंस्ट टॉर्चर’ ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान सरकार द्वारा ‘आतंकवाद से जुड़े आपराधिक मामलों पर सैन्य अदालतों को ट्रायल करने का अधिकार’ देने पर चिंता व्यक्त की। अपनी इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र समिति ने कहा कि सेना को अधिकार मिला हुआ है कि वह बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में ले सकती है।
आपराधिक मामलों में एक मौका दिया जाना चाहिए
पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को जासूसी के मामले में गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि जाधव को ईरान से पकड़ा गया है। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान ने उसे कोई ठोस सबूत नहीं दिया और न ही जाधव की मदद करने दी। यूएन ने पाकिस्तान सरकार से कहा कि वो आतंकवाद संबंधित आपराधिक मामलों को सैन्य अदालतों से सिविल अदालतों में लेकर जाए और जो लोग सैन्य अदालतों में मुकदमा झेल रहे हैं, उन्हें सिविल अदालतों में अपील करने का एक मौका दिया जाए।
साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंक निरोधी कानून, खासकर ऐंटी-टेररिजम एक्ट 1997 में यातनाओं से रक्षा के कानूनी उपायों को ‘खत्म’ कर दिया गया है। समिति ने कहा है कि मजिस्ट्रेट की गैरमौजूदगी में लिए गए इकबालिया बयानों को साक्ष्य के रूप में न माना जाए, यह पाकिस्तान सुनिश्चित करे। खास बात यह है कि पाकिस्तान ने दावा किया है कि जाधव ने अपना जुर्म कबूल किया है।