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बसपा की अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर दुःख व्यक्त करते हुये पार्टी के पदाधिकारियों से ‘गठबंधनों पर निर्भर रहने के बजाय अपना संगठन मजबूत करने का निर्देश दिया है। मायावती ने आगामी उपचुनाव भी बसपा द्वारा अपने बूते लड़ने की बात कह कर भविष्य में गठबंधन नहीं करने का संकेत दिया है। लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के लिये मायावती ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक में कहा कि बसपा को जिन सीटों पर कामयाबी मिली उसमें सिर्फ पार्टी के परंपरागत वोट बैंक का ही योगदान रहा। सूत्रों के अनुसार बसपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद बसपा के पक्ष में यादव वोट स्थानांतरित नहीं होने की भी बात कही है।
उन्होंने विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में किये गये गठबंधन से उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने का हवाला देते हुये कहा कि अब बसपा अपना संगठन मजबूत कर खुद अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी।
सूत्रों के अनुसार दिल्ली स्थित बसपा कार्यालय में हुई बैठक में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष आर एस कुशवाहा, राज्य में पार्टी के सभी विधायक, नवनिर्वाचित सांसद, प्रदेश के सभी जोनल कोऑर्डिनेटर के अलावा सभी जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया था। समीक्षा बैठक में मायावती ने लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिये गठित की गयी भाईचारा समितियों को आगे भी काम करते रहने को कहा है।
ज्ञात हो कि चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन से नाराज मायावती ने शनिवार की बैठक में दो राज्यों, मध्य प्रदेश और दिल्ली के बसपा अध्यक्षों सहित छह राज्यों के पार्टी प्रभारियों को पद से हटा दिया था। इनमें कुशवाहा भी शामिल थे। उन्हें उत्तराखंड के प्रभारी पद से हटा कर मायावती ने एम एल तोमर को राज्य का नया प्रभारी बनाया था।
उल्लेखनीय है कि बसपा प्रमुख मायावती लोकसभा चुनाव परिणाम की पिछले तीन दिनों से राज्यवार समीक्षा कर रही हैं। लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद पार्टी को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिल सके। सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही बसपा को हाल ही में संपन्न हुये चुनाव में उत्तर प्रदेश से महज 10 सीटों पर जीत हासिल हो सकी है। (इनपुट भाषा से)