कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा है कि महज अश्लील तस्वीरें रखना स्त्री अशिष्ट रूपण प्रतिषेध कानून के तहत अपराध नहीं है।
अदालत ने एक व्यक्ति और एक महिला के खिलाफ आपराधिक मुकदमे को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की। हालांकि उसने स्पष्ट किया कि ऐसी तस्वीरों का प्रकाशन या वितरण कानून के तहत दंडनीय है।
न्यायमूर्ति राजा विजयवर्गीय ने हाल में एक आदेश में कहा कि अगर किसी वयस्क व्यक्ति के पास अपनी कोई तस्वीर है जो अश्लील है तो 1968 के कानून 60 के प्रावधान तब तक उस पर लागू नहीं होंगे जब तक कि उन तस्वीरों को किसी अन्य उद्देश्य या विज्ञापन के लिए वितरित या प्रकाशित न किया जाए।
उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर अपना फैसला दिया जिसमें एक व्यक्ति और महिला के खिलाफ मुकदमे को रद्द करने की मांग की गई थी। यह मामला कोल्लम में एक मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित था। यह मामला 2008 में दर्ज किया गया था।
पुलिस ने कोल्लम में एक बस अड्डे पर तलाशी अभियान के दौरान दोनों लोगों के बैगों की जांच की थी जो एक साथ थे। तलाशी में दो कैमरे मिले थे। जांच करने पर यह पाया गया कि उनके पास उनमें से एक की अश्लील तस्वीरें और वीडियो हैं। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और कैमरे जब्त कर लिए गए थे।