अमेरिका की वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह सिस्टम विकसित किया है। यह स्वस्थ बोन सेल्स की वृद्धि को प्रेरित भी कर सकता है। उपचार का यह तरीका उन लोगों में कारगर हो सकता है, जो ऑस्टियोसार्कोमा से पीड़ित होते हैं। सदियों से खाद्य पदार्थों को बनाने और दवाओं में हल्दी का उपयोग होता आ रहा है। हल्दी के सक्रिय तत्व करक्यूमिन में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटोरी की क्षमता होती है।
पुराने अध्ययनों में जाहिर हो चुका है कि हल्दी में एंटी ऑक्सीटेंड और एंटी इंफ्लैमेट्री के गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा भारत के वरिष्ठ नागरिक तो पहले से ही इसके सेवन को महत्व देते आ रहे हैं। यहां के आहार में इसे प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है। हल्दी न केवल एक मसाला है, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। त्वचा, पेट और आघात आदि से उबरने में हल्दी अत्यंत उपयोगी होती है।
लीवर संबंधी समस्याओं में लाभकारी
लीवर की तकलीफों से निजात पाने के लिए हल्दी बेहद उपयोगी होती है। यह रक्त दोष दूर करती है। हल्दी नैसर्गिक तौर पर ऐसे एन्जाइम्स का उत्पादन बढ़ाती है जिससे लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।