आखिरकार बुलंदशहर हिंसा के आरोपितों पर राजद्रोह की धारा लग गई। शासन से मिली संस्तुति के बाद एसआइटी ने इस बाबत कोर्ट में फाइल दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सीजेएम कोर्ट ने सभी आरोपितों पर राजद्रोह की धारा बढ़ा दी है। फैसले के विरोध में आरोपितों के अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है। तीन दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के महाव गांव में गोवंश के अवशेष मिलने पर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास हिंसा हो गई थी। इसमें स्याना कोतवाल सुबोध कुमार सिंह और चिंगरावठी गांव निवासी सुमित की गोली लगने से मौत हो गई। इस प्रकरण में पुलिस ने 27 नामजद व 60 अज्ञात आरोपितों पर हत्या, बलवा, राजद्रोह आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें हिंदू संगठन के कार्यकर्ता व पदाधिकारी भी शामिल थे। एसआइटी 44 आरोपितों को जेल भेज चुकी है। आरोपितों के खिलाफ एसआइटी ने आठ मई को सीजेएम न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें आरोपितों पर राजद्रोह की धारा 124 (ए) भी लगाई गई थी, लेकिन एसआइटी ने आरोपितों पर राजद्रोह की धारा लगाने के लिए शासन से अनुमति नहीं ली थी। इस कारण न्यायालय ने राजद्रोह की धारा पर संज्ञान नहीं लिया था। एसआइटी के पत्राचार के बाद शासन से इसकी अनुमति मिल गई थी। इसके बाद सीजेएम अमरजीत ङ्क्षसह ने शनिवार शाम को राजद्रोह की धारा पर संज्ञान ले लिया। आरोपित जीतू फौजी के अधिवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि सभी आरोपितों पर कोर्ट ने राजद्रोह की धारा बढ़ा दी है।