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दुनिया भर में पूज्नीय हैं श्री गणेश, अनादि काल से होती आ रही है इनकी पूजा

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  • गणेश जी की पूजा अर्चना कहीं वर्षोंं से लगातार होती आ रही है। इतिहास में भी पूजा-अर्चना के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। इतिहासकारों के अनुसार गणेश जी की पूजा के प्रमाण आज से करीब 500 वर्ष पहले से मिलने लगे थे। विभिन्न-विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग रूपों में गणेश जी का वर्णन है।
  • जापान में इन्हें कांगीतेन नाम से जाना जाता है। अफगानिस्तान, मैक्सिको, ईरान और चीन की माया संस्कृति तक में गणेश जी की मूर्तियां मिली हैं। गणेश पुराण के अनुसार गणेश जी के आठ अवतार हैं। सभी अवतार प्रतीकात्मक हैं। मोह, ममता, क्रोध जैसी आठ कमियों पर विजय पाने की प्रेरणा देते हैं। गणेश पुराण में गणेश जी के मूषक के अलावा शेर, माेर आैर शेषनाग सहित चार वाहनों का भी जिक्र है।
  • गणेश जी की सदियों पुरानी मुर्तियां ईरान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया में भी मिली हैं। ईरान के लोरिस्तान प्रांत में 3200 साल पुरानी मेटल प्लेट पर गणेश मूर्ति मिली है। सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी और हड़प्पा में भी गणेश मुर्तियां मिली थी। वहीं ईरान के लोरिस्तान में 1200 साल ईसा पूर्व की गणेश मूर्ति मिली है।
  • माइथोलॉजी और सिम्बॉलिज्म के विशेषज्ञ लायर्ड स्क्रैन्टन की किताब ‘प्वाइंट ऑफ ओरिजनः गोओबलकी टिपे एंड स्पिरिचुयल मैट्रिक्स फॉर द वर्ल्ड कॉस्मोलॉजी’ के अनुसार ईसा पूर्व 3000 में गणेश पूजा का उल्लेख है।
  • अफ़ग़ानिस्तान के एक राजा खिंगाल ने 5वीं सदी में गणेश जी की मूर्ति को स्थापित किया था। संगमरमर की इस मूर्ति पर दर्ज है- ‘ये मनमोहक प्रतिमा महाविनायक की है, जिसे शाही राजा खिंगाल ने स्थापित कराया था।
  • ‘राबर्ट ब्राउन की किताब ‘गणेशः स्टडीज ऑफ एन एशियन गॉड’ के अनुसार अफगानिस्तान के उत्तरी काबुल में जो गणेश जी की मूर्ति है वो चौथी सदी की है ।
  • चीन की मोगाओ गुफा जो एक बौद्ध गुफा है वहां पर भी पुरानी गणेश पेंटिंग मिली हैं और यह छठी शताब्दी की पेटिंग है। इस गुफा मे बौद्ध धर्म से संबंधित हजारों चित्र हैं। यह गुफा 25 कि.मि के दायरे में है और इसमें 492 मंदिर हैं। मान्यता है कि बौद्ध धर्म ने ही यहां गणेश पूजा शुरू की। जापान में भी 1200 साल पुरानी गणेश प्रतिमा और चित्र मिले हैं।
  • गणेश जी को तमिल मे विनायागार और पिल्लै भी कहा जाता है। विनायाकुडू नाम से इन्हें तेलगु मे जाना जाता है । बरमा में पाली महा विनायक और थाइलैंड में फरा फिकानेत नाम से जाना जाता है।
  • शिव महापुराण के अनुसार गणेशजी का रंग हरा और लाल है। वही गणेश पुराण के अनुसार इंसान के शरीर का मूलाधार चक्र गणेश कहलाता है।