यह इत्तेफाक है या मालिक से पूर्व जन्म का कोई रिश्ता कि एक पालतू बंदर ने अपने पालक बुजुर्ग शिक्षक की मौत के बाद उसने भी अपने प्राण त्याग दिए। यह घटना फतेहपुर जिले के किशनपुर कस्बे के पाखरतर मुहल्ले की है। परिजनों ने दोनों के शव को एक ही चिता में रखकर अंतिम संस्कार कर दिया।
बुजुर्ग शिक्षक शिवराज सिंह (75) की मौत बीमारी के चलते बुधवार शाम में हो गई। घर में परिजनों के रोने की आवाज सुन पालतू बंदर भी शव के पास पहुंच गया और शव के पास बैठे-बैठे ही उसकी भी मौत हो गई। शिक्षक और बंदर के शव को एक ही चिता में रखकर परिजनों ने अग्निदाह कर दिया।
मृत शिक्षक के भतीजे देवपाल ने बताया कि उनके चाचा ने इस बंदर को पाला था। उनके कोई औलाद नहीं थी, इसलिए बंदर को बेटे की तरह प्यार करते थे। लेकिन कुछ साल पहले बीमार होने की वजह से बंदर की देखभाल न कर पाने के कारण उसे तीन साल पहले खागा कस्बे छोड़ आये थे। बंदर दस दिन पूर्व ही वापस उनके पास लौटा था।
बुधवार की शाम चाचा की मौत पर पूरा परिवार गमगीन था, इसी बीच बंदर भी छत से उतर उनके शव के पास आकर बैठ गया और कुछ ही देर बाद उसकी भी मौत हो गई है। उसने बताया कि चाचा के शव के लिए बनाई गई चिता में बंदर के भी शव का अग्निदाह किया गया है, अब उसका तेरहवीं संस्कार भी चाचा की तेरहवीं के साथ किया जाएगा।