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मजबूरी में मजदूर ने यूपी जाने के लिए चुराई साइकिल, चिट्ठी में लिखा- मुझे माफ कर देना

âमजदूर के साथ उसका दिव्यांग बेटा भी था। कोई साधन नहीं होने पर मजदूर ने एक व्यक्ति की साइकिल चोरी कर ली।

 

Migrant Worker: लॉकडाउन की सबसे बड़ी कीमत प्रवासी मजदूरों को चुकानी पड़ रही है। दो वक्त की रोटी के लिए घर से निकले इन लोगों को वापस अपने गांवों तक पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ रहा है। सड़कों पर चलते हुए अब तक कई मजदूर हादसों का शिकार हो चुके हैं। प्रवासी मजदूरों की कई दिल दहला देने वाली खबरें आई हैं। इस बीच राजस्थान से एक अजीब वाकया सामने आया है। यहां एक प्रवासी मजदूर को अपने गृह नगर उत्तर प्रदेश में बरेली तक जाना था, लेकिन कोई साधन उपलब्ध नहीं था। मजदूर के साथ उसका दिव्यांग बेटा भी था। कोई साधन नहीं होने पर मजदूर ने एक व्यक्ति की साइकिल चोरी कर ली। वह ऐसा नहीं करना चाहता था लेकिन मजबूरी थी।

 

मजदूर ने साइकिल वाले के लिए एक चिट्ठी लिखी, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। चिट्ठी में मजदूर कह रहा है कि मुझे माफ कर देना।

मजदूर ने चिट्ठी में लिखा, मैं आपकी साईकिल लेकर जा रहा हूं। हो सके तो माफ कर देना। मेरा एक बेटा है जिसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ रहा है क्योंकि वह दिव्यांग है। वह चल नहीं सकता है। मुझे बरेली तक जाना है। आपका कसूरवार एक यात्री।