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यूपी में बिल्डरों पर बड़ी कार्रवाई, रोहतास, शिप्रा और तुलसियानी बिल्डर का निरस्त होगा लाइसेंस

इंटीग्रेटेड टाउनशिप के तहत लाइसेंस लेने वाले तीन बड़े बिल्डरों का लाइसेंस निरस्त होगा। एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने रोहतास बिल्डर के इंडस टाउन प्लानर, शिप्रा बिल्डर तथा तुलसियानी बिल्डर के इंटीग्रेटेड टाउनशिप के लाइसेंस को निरस्त करने का निर्णय लिया है। लंबे समय से लाइसेंस लेने के बावजूद यह बिल्डर डेवलपमेंट नहीं कर रहे थे। जिसकी वजह से विकास प्रभावित हो रहा था। 

एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश तथा सचिव पवन कुमार गंगवार ने बैठक में इंडस टाउन प्लानर, शिप्रा बिल्डर तथा तुलसियानी बिल्डर की टाउनशिप निरस्त करने का निर्णय लिया। इंडस टाउन प्लानर कंपनी रोहतास बिल्डर की है। इसका डीपीआर भी 2018-19 में स्वीकृत हो गया था। लेकिन बिल्डर ने शुल्क नहीं जमा किया। रोहतास बिल्डर के मालिकों पर कई एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अब टाउनशिप का लाइसेंस निरस्त होने से उसकी मुश्किलें और बढ़ेंगी। 
 
तुलसियानी बिल्डर ने लाइसेंस लेने के बाद डीपीआर ही नहीं जमा किया
तुलसियानी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप का लाइसेंस 18 अगस्त 2015 को लिया था। कंपनी ने 60.64 एकड़ में टाउनशिप विकसित करने का लाइसेंस लिया था। बिल्डर नई जेल रोड पर टाउनशिप विकसित करना चाहता था। बिल्डर ने लाइसेंस लेकर मौके पर जमीन आरक्षित करा ली। लेकिन करीब 6 वर्ष बीतने के बावजूद आज तक इसने एलडीए में न तो डीपीआर दाखिल किया और न जमीन से संबंधित दस्तावेज सौंपे। अब इसका लाइसेंस निरस्त होगा।
 
शिप्रा एस्टेट बिल्डर ने 372 एकड़ का लाइसेंस लिया, डेवलपमेंट नहीं कराया

शिप्रा एस्टेट बिल्डर को 18 सितंबर 2015 में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप का लाइसेंस दिया था। इसे 372 एकड़ में टाउनशिप विकसित करने का लाइसेंस दिया गया था। बाद में इसने टाउनशिप की जमीन कम की। एलडीए में डीपीआर जमा किया लेकिन जमीन से संबंधित दस्तावेज एलडीए को नहीं दिए। शुल्क भी नहीं जमा कराया। इंटीग्रेटेड टाउनशिप के नियमों का भी पालन नहीं किया। इसके लिए इसका भी लाइसेंस निरस्त करने का निर्णय हुआ है। 
 रोहतास की इंडस टाउन प्लानर में हजारों का पैसा फंसा

एलडीए ने रोहतास बिल्डर की कंपनी इंडस टाउन प्लानर का भी लाइसेंस निरस्त करने का निर्णय लिया है। रोहतास बिल्डर अपनी इस कंपनी के जरिए लखनऊ रायबरेली रोड पर 139 एकड़ की टाउनशिप दिखाकर दो हजार से ज्यादा लोगों से पैसा वसूला है। लोग अपने मकान प्लॉट के लिए भटक रहे हैं। अब उनकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाएंगी। इस बिल्डर को 7 जुलाई 2015 को इंटीग्रेटेड टाउनशिप का लाइसेंस मिला था। अन्य बिल्डरों की टाउनशिप में भी मकान व प्लॉट खरीदने वालों के सामने बड़ी दिक्कतें आने जा रही हैं। 10 हजार से ज्यादा लोगों को परेशान होना पड़ेगा।