Saturday , November 23 2024

आगरा: दारोगा के हत्यारे पर 50 हजार का इनाम घोषित, कई टीमें खोजबीन में लगीं

आगरा में दारोगा की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी पर आईजी ए. सतीश गणेश ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। आरोपी को पकड़ने के लिए कई टीमें लगाई गई हैं। एडीजी राजीव कृष्ण के मुताबिक, पुलिस की कई टीमें आरोपी को पकड़ने के प्रयास में जुटी हैं। गुरुवार सुबह तक काफी जानकारियां मिल गई हैं और उम्मीद है कि जल्द आरोपी हिरासत में होगा।

ग्रामीणों की मानें तो आरोपी विश्वनाथ सनकी किस्म का था और आए दिन तमंचा लेकर घूमता था। घटना के समय भी वो तमंचा लहरा रहा था, तभी दारोगा प्रशांत यादव ने उसे पकड़ने का प्रयास किया था।

दारोगा के परिजन अब भी हैं नाखुश
दारोगा प्रशांत यादव को राज्य सरकार ने शहीद का दर्जा देते हुए उनके परिवार की हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन दारोगा पर अपनी बहनों और चचेरी बहनों के साथ पत्नी और बच्चे की जिम्मेदारी थी, इसलिए परिजन 50 लाख और नौकरी की मदद को नाकाफी मान रहे हैं। परिजन आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ और मदद की मांग कर रहे हैं।

दारोगा को जानने वाला हर शख्स गमगीन
2011 में सिपाही बनने के बाद 2015 में सीधी भर्ती परीक्षा पास कर दारोगा बने प्रशांत यादव के बीच के हर साथी उनकी बातें याद कर गमगीन हैं और आगरा में जहां-जहां उनकी पोस्टिंग रही, हर जगह आम जनता से उनका मृदु व्यवहार रहने के कारण आगरा की जनता भी इस कांड से काफी आहत है। वर्तमान पोस्टिंग खंदौली क्षेत्र में शहीद का पार्थिव शव जाते समय जनता ने सड़क पर खड़े होकर उनके ऊपर पुष्पवर्षा कर श्रद्धांजलि दी।

भाइयों का विवाद सुलझाने के दौरान हुई हत्या
आगरा के खंदौली के गांव नोहर्रा में विजय सिंह ने खेतों का बंटवारा कर दिया था। 10 बीघा बड़े बेटे शिवनाथ और 10 बीघा विश्वनाथ को देने के साथ ही 7 बीघा खेती अपने पास रखी थी। विजय का छोटा बेटा विश्वनाथ मां के साथ रहता था, पर पिता की खेती बंटाई पर करता था। इस बार पिता ने शिवनाथ को खेत बंटाई पर दे दिया था। बुधवार को खेत से आलू निकालने के दौरान विश्वनाथ और उसकी मां ने हंगामा किया था और सूचना पर पुलिस मौके पर गई थी। यहां पुलिस ने सख्ती बरतने के स्थान पर बिना कार्रवाई डांट-डपट कर मामला खत्म करवा दिया था। इसके बाद शाम को जब विश्वनाथ ने फिर हंगामा किया तो शिवनाथ द्वारा पुलिस कंट्रोल को फोन करने पर दारोगा प्रशांत यादव और सिपाही चंद्रसेन वहां पहुंचे थे। विश्वनाथ को पकड़ने के दौरान उसने दारोगा पर गोली चला दी। जिससे दारोगा की मौके पर मौत हो गई थी, अगर दिन में ही मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कार्रवाई हो जाती तो शाम को यह हृदयविदारक कांड नहीं हो पाता।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
आगरा में ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी ऐसी तमाम वारदातें हो चुकी हैं। बीते वर्ष आठ नवंबर को खनन माफिया के गुर्गों ने खेरागढ़ में सिपाही सोनू पर ट्रैक्टर चढ़ाकर उसकी हत्या की थी। इससे पूर्व यहीं 3 नवम्बर 2019 को दारोगा निशामक त्यागी को गोली मारकर घायल किया था। बीते साल 14 जुलाई को किरावली में खनन माफिया के गुर्गों ने सिपाही राघवेंद्र पर ट्रैक्टर चढ़ाकर घायल किया था। 6 जुलाई को फतेहाबाद के लालपुरा गांव के पास पुलिस पर हमला हुआ।

19 दिसंबर 2019 को खेरागढ़़ के एक गांव में अवैध बालू खनन करके ले जाते ट्रैक्टर को रोकने पर चालक ने सिपाहियों पर चढ़ा दिया था। इसमें दो सिपाही घायल हो गए थे। 5 जून 2019 को खेरागढ़ के बरहरा गांव में खनन माफिया के गुर्गों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर चार पुलिसकर्मी घायल कर दिया था। 25 सितंबर 2019 को खेरागढ़ के गढ़सान में बालू से भरी ट्रैक्टर ट्राली रोकने पर सिपाहियों को कुचलने का प्रयास करने के साथ फायरिंग की गई थी।

29 जुलाई 2017 को एत्माद्दौला के कालिंदी विहार सौ फुटा रोड पर चेकिंग के दौरान सिपाही सतीश यादव की बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 5 अप्रैल 2017 को शमसाबाद थाने में क्राइम ब्रांच के सिपाही अजय यादव की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 2 जुलाई 2014 को मलपुरा में दबिश को गए सिपाही प्रदीप यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

12 दिसंबर 2014 को एपी एक्सप्रेस में बदमाशों द्वारा चार पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर अपराधी हरेंद्र और वीनेश को छुड़ाया गया था। हमले में सिपाही खलीक अहमद की गोली लगने से मौत हो गई थी।