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कोरोना के नए स्ट्रेन से सुनने की शक्ति हो रही प्रभावित, इन अंगों पर भी बुरा असर

अलग-अलग रूप में लोगों को अपनी आगोश में समेट रहे कोरोना के नए लक्ष्णों में कानों से सुनने की शक्ति कम होने की भी सामने आ रही है। साथ ही गम्भीर रूप से संक्रमित रोगियों के तो आंखों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। अब तक नए स्ट्रेन के पहचान बदलने के रूप में मुख्य रूप से वायरल बुखार के साथ डायरिया, पेट दर्द, उल्टी-दस्त, अपच गैस, एसिडिटी, भूख न लगना एवं बदन दर्द जैसे लक्षण ही सामने आए थे लेकिन जैसे-जैसे यह नया स्ट्रेन तेजी से फैलता जा रहा है उसके कुछ और नए लक्ष्ण सामने आते जा रहे हैं। 

केजीएमयू व एसजीपीजीआई समेत कई अन्य कोविड अस्पतालों में भर्ती गम्भीर कोविड मरीजों को सुनने में परेशानी हो रही है। इन चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे ज्यादातर कोरोना मरीजों की शिकायत हैं कि उन्हें उनके दोनो कानों से सुनाई नहीं दे रहा। इनमें से कुछ ऐसे भी मरीज हैं जो केवल एक कान से ही सुन पा रहे हैं। इस तरह की शिकायतें भी खूब आ रही हैं। इसके अतिरिक्त कुछ कोरोना संक्रमित मरीजों की ओर से दिखाई कम देने की भी शिकायतें सामने आई है लेकिन चिकित्सकों का यह भी कहना है कि गम्भीर होने की अवस्था में शरीर के कई अंग प्रभावित होने लगते हैं। लिहाजा कई अंगों पर इसका सीधा असर पड़ता दिख रहा है।

 ऐसे में अपनी पहचान बदलकर कहीं अधिक घातक रूप में आए कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों की भी चिन्ताएं काफी बढ़ गई है। उनका कहना है कि अब हर व्यक्ति को इस संक्रमण से बचने के जतन करने होंगे। लापरवाही छोड़कर कर कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन करना ही इसका मात्र उपाय है। विदित हो कि कोरोना के नए स्ट्रेन के लक्ष्णों में जो अब तक वायरल बुखार के साथ डायरिया, पेट दर्द, उल्टी-दस्त, अपच गैस, एसिडिटी, भूख न लगना एवं बदन दर्द जैसे लक्षण की ही पहचान की गई थी अब उसमें सुनने व दिखाई देने में आ रही समस्या भी शामिल हो गई है। हालांकि नए वैरिएंट के मामले में राहत देने वाली बात यह है कि नया स्ट्रेन अगर रोगी की प्रतिरोधक क्षमता ठीक है तो अधिक समय तक परेशान नहीं करता और अधिकतम पांच से छह दिनों में सामान्य भी होने लगता है। 

दूसरे स्ट्रेन से संक्रमित मरीजों में से ज्यादातर की उ‌लटी-दस्त, अपच,गैस, एसिडिटी के अलावा बदन दर्द और मांसपेशियों में अकड़न तथा सुनने में परेशानी की शिकायत सुनने को मिल रही है। डा. विक्रम सिंह, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ