कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं के ज्यादा चपेट में आने की बात को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने खारिज किया है। आईसीएमआर के चीफ बलराम भार्गव ने इस बारे में में कहा कि युवाओं के ज्यादा चपेट में आने की बात गलत है। आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में 30 से कम उम्र के लोगों में सिर्फ एक फीसदी से ज्यादा संक्रमण है। हालांकि उन्होंने यह साफ किया है कि 2020 में आई कोरोना लहर के मुकाबले इस बार ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा पड़ रही है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन पर भर्ती मरीजों का प्रतिशत बढ़ा है। पिछली बार 40 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 54 फीसदी है। लेकिन एक राहत की बात यह है कि वेंटिलटर की जरूरत कम ही पड़ रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बलराम भार्गव के अलावा नीति आयोग के वीके पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी मौजूद थे। मंत्रालय ने कहा कि दोनों ही लहर में कोरोना की चपेट में आए लोगों में 70 फीसदी से ज्यादा की उम्र 40 साल से अधिक है। बलराम भार्गव ने कहा कि अब भी अधिक उम्र के लोगों के लिए कोरोना ज्यादा बड़ा खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछली लहर के मुकाबले युवाओं के चपेट में आने के मामले थोड़े ही बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल की लहर में 0 से 19 साल तक की आयु के 4.2 फीसदी लोग कोरोना की चपेट में आ रहे थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा 5.8 पर्सेंट का है।
युवाओं के संक्रमित होने की संख्या में बीते साल के मुकाबले मामूली इजाफा
इसी तरह 20 से 40 साल की आयु के लोगों के संक्रमित होने की दर 23.7 फीसदी से बढ़कर 25.5 पर्सेंट हो गई है। इसके अलावा बिना लक्षण वाले कोरोना पीड़ितों की संख्या में इजाफा हुआ है। यही नहीं इस साल ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा पड़ रही है। यदि मौतों की बात करें तो आंकड़ा बीते साल की तरह ही है। इस बीच लोगों को पैनिक से बचने की सलाह देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बिना लक्षण या फिर मामूली लक्षण वाले पीड़ितों का इलाज घर पर ही हो सकता है। ऐसे लोगों को अस्पताल में एडमिट कराने की जरूरत नहीं है।
खतरे से बाहर वाले लोगों को अस्पताल से जल्दी किया जा सकता है डिस्चार्ज
इसके अलावा ऐसे लोग जो गंभीर रूप से पीड़ित नहीं हैं, उन्हें डॉक्टरों की सलाह पर थोड़ा पहले ही डिस्चार्ज किया जा सकता है। वहीं ऑक्सीजन की कमी पर चिंताओं को दूर करते हुए मंत्रालय ने कहा कि इसकी सप्लाई में इजाफा किया गया है। दूसरी लहर में वेंटिलेटर की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं पड़ रही है, लेकिन संक्रमितों की संख्या में अचानक तेजी के चलते मांग बढ़ी है।