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घमाशान के बीच मिले एसपी के दोनों राष्ट्रीय अध्यक्ष

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फ़ाइल फोटो

लखनऊ । समाजवादी पार्टी में हद से बाहर जा चुकी रार एक बार फिर थम सकती है। ऐसा संकेत आज मुख्यमंत्री व नए बनाए गए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा पार्टी के पूर्व सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बीच हुई लंबी बैठक के बाद मिल रहे हैं।

दिल्ली से आज ही लखनऊ लौटे पार्टी के मुखिया ने मुख्यमंत्री से अपने आवास पर काफी देर तक वार्ता की। माना जा रहा है कि इनके बीच टिकट वितरण की भूमिका को लेकर समझौता हो गया है। अब पार्टी के सभी प्रत्याशी के नाम मुलायम सिंह यादव तथा सीएम अखिलेश यादव तय करेंगे।

सपा प्रमुख मुलायम दिल्ली में आजम से नहीं मिले, लख़नऊ लौटे

एक बार फिर से पार्टी के प्रत्याशियों की सूची तैयार होगी। इनका चयन अब मुलायम व अखिलेश करेंगे। लखनऊ में आज मुलायम व अखिलेश के बीच में करीब डेढ़ घंटे तक लंबी वार्ता चली। ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव को राष्ट्रीय राजनीति में फिट किया जाएगा।
मुलायम सिंह यादव ने आजम व बलराम को दिल्ली बुलाया

चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के बाद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव लखनऊ लौटे हैं। इस बीच बात सामने आना शुरू हो गई कि मुलायम व अखिलेश के बीच सुलह हो सकती है। इन्हीं के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज दिन में मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे। इनके बीच समाजवादी पार्टी के भविष्य को लेकर यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। अभी भी मुलायम और अखिलेश में सुलह की गुंजाइश बनी हुई है। माना जा रहा है कि इनके बीच टिकटों के बंटवारे के अधिकार को लेकर काफी देर तक बात हुई। इसके साथ ही संगठन में बदलाव और कुछ प्रमुख लोगों की पार्टी से रुखसती के अधिकार मिलने पर अखिलेश पिता मुलायम सिंह के समक्ष सरेंडर कर सकते हैं।

पिता-पुत्र में सहमति बनी तो अखिलेश छोड़ सकते है राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद
यह भी चर्चा है कि पिता-पुत्र में सहमती बनी है कि अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद छोड़ देंगे। इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव को केंद्र की राजनीति में भेजा जा सकता है।

दिल्ली में आज ही अखिलेश खेमे की तरफ से प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग में दावा पेश कर दिया है। उनका कहना है कि साइकिल चुनाव निशान उनका है और पार्टी पर भी उन्हीं का हक है। इससे पहले कल ही मुलायम सिंह कह चुके हैं कि वह ह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनके बिना अनुमति के अधिवेशन नहीं बुलाया जा सकता। लिहाजा पार्टी के सिंबल पर उन्हीं का अधिकार है।