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कोरोना ने छीना पति, दो-दिन भूखी-प्यासी पड़ी रही नेत्रहीन वृद्धा

कोरोना महामारी में टूटती संवेदनाओँ की एक घटना सामने आई है। कोरोना से अस्पताल में दम तोड़ने वाले एक रिटायर फौजी की 78 वर्षीय नेत्रहीन पत्नी दो दिन तक घर में भूखी-प्यासी पड़ी रही और पड़ोसी तो दूर अपनों तक ने इसकी सुध नहीं ली। किसी तरह लाचारी की यह सूचना शाहजहांपुर के एक रोटेरियन तक पहुंची तो उन्होंने यहां अपने दोस्तों की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती कराया। वह भी कोरोना संक्रमण के कारण जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है।

सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रामगंगा विहार निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग आर्मी से रिटायर्ड थे और अपनी 76 वर्षीय पत्नी के साथ अकेले रह रहे थे। उनके कोई संतान नहीं थी इसलिए यूं भी बुढ़ापा मुश्किलों में बीत रहा था। उम्र के साथ-साथ पत्नी की आंख की रोशनी जाती रही, इसिलए बुजुर्ग ही भोजन बनाते-खिलाते थे। वे जैसे-तैसे एक दूसरे का सहारा बन जीवन के आखिरी दिन काट रहे थे लेकिन क्रूर कोरोना का कहर उन पर भी टूट पड़ा।

बीते सप्ताह तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में दिखाया गया तों जांच में उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई। उनकी पत्नी भी संक्रमित मिली। दो दिन बाद ही हालत बिगड़ने पर वृद्ध को कोविड अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, जहां रविवार सुबह उनकी मौत हो गई। कोरोना से मौत की खबर मिलने के बाद भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार दो आंसू बहाने भी नहीं पहुंचे। आखिरकार प्रशासन ने खुद संक्रमण से जूझ रही पत्नी को मौत की सूचना देकर अंतिम संस्कार करा दिया।

उधर, पति की मौत के बाद पत्नी की हालत और बिगड़ती गई। कोरोना के कारण परिजनों और मोहल्ले वालों ने भी दूरी बना ली। कोई भी मदद को नहीं पहुंचा। देखने से लाचार बुजुर्ग दो दिन तक घर में भूखी-प्यासी घर में पड़ी रही। किसी तरह यह जानकारी शाहजहांपुर के रोटेरियर अजय शर्मा तक पहुंची। उन्होंने मुरादाबाद में अपने दो साथियों विशाल शर्मा और धवल दीक्षित से सहयोग मांगा। दोनों साथियों ने तत्काल वृद्धा के भोजन-पानी का इंतजाम कराया। उनकी तबीयत को देखते हुए मंगलवार को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है, जहां वह मौत से जंग लड़ रही है।