उत्तर प्रदेश में कोरोना से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। मरीजों और उनके परिवारवालों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। गुस्सा चरम पर पहुंच रहा है और रह-रहकर हंगामे की स्थिति सामने आ रही है। उन्नाव के एकमात्र कोविड-19 हॉस्पिटल नवाबगंज स्थित सरस्वती मेडिकल कालेज में तीन दिन के अंदर दूसरी बार हंगामा हुआ। यहां पिछले 24 घंटे में कोरोना से नौ मौतें हुईं। मृतकों के परिवारीजनों ने अस्पताल से शव सौंपने की मांग की। अस्पताल ने शासन के निर्देशों का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया तो परिवारवालों ने गुस्से में कहा कि क्या कोरोना से मरने वालों की किडनी निकाल ली गई है जो उनके शव परिवार को नहीं सौंपे जा रहे हैं।
हंगामे के बाद एडीएम राकेश कुमार सिंह ने कहा कि शव, घरवालों को सौंपने की तैयारी चल रही है। इसके बावजूद घरवाले नहीं मान रहे हैं। रोज हंगामा कर रहे हैं। अब वे अपने रिस्क पर ले जाएं। बता दें कि सरस्वती मेडिकल कालेज में पिछले एक हफ्ते के दौरान 35 लोगों की मौत हो चुकी है। अपनों का हाल जानने के लिए मेडिकल कालेज के गेट पर हर वक्त तीमाददार मौजूद रहते हैं। शुक्रवार की सुबह उन्हें जानकारी हुई कि कोरोना से नौ लोगों ने दम तोड़ दिया है। इसके बाद तीमारदार, शव सौंपने की मांग करने लगे। इस पर मेडिकल कालेज प्रशासन ने इनकार कर दिया।
सभी शवों को एंबुलेंस से कानपुर भैरव घाट भिजवाने की तैयारी की जाने लगी। इस पर भड़के तीमारदारों ने एंबुलेंस ड्राइवरों को पीट दिया। तीमारदारों का रुख देखकर एंबुलेंस ड्राइवर मौके से भाग खड़े हुए। उन्होंने शवों को ले जाने से इनकार कर दिया। तीमारदारों ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाया कि परिवारवालों को सिर्फ इसलिए शव नहीं सौंपे जा रहे क्योंकि मरीजों की किडनी निकाल ली गई है। इस बारे में मेडिकल कालेज के जनरल मैनेजर मनोज सिसौदिया ने कहा कि मेडिकल कालेज तो सिर्फ शासन के निर्देशों का पालन कर रहा है। निर्देश है कि कोविड-19 से मौत के बाद शव को सीधे घाट पर भेजा जाए लेकिन परिवारवाले लगातार इस काम में बाधा पहुंचा रहे हैं।
तीमारदारों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप
उधर, तीमारदारों ने मेडिकल कालेज प्रशासन पर इलाज में भारी लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यहां तो ठीक ढंग से इलाज किया जा रहा है और न ही उन्हें ठीक से खाना-पीना दिया जा रहा है। अंदर भर्ती मरीज अपने परिवारवालों को फोन करके इन असुविधाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं। गुस्साए तीमारदारों ने अस्पताल प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए।