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विश्व परिवार दिवस आज : प्रकृति से बनाया अनोखा रिश्ता, घर में लगाए 200 वट वृक्ष

बात विश्व परिवार दिवस की चल रही हो तो लोग अपने रिश्तों की बात करने लगते हैं, वहीं बिजनौर के शशि मोहन शर्मा ने इन रिश्तों के साथ-साथ प्रकृति से भी ऐसा रिश्ता बनाया कि वह मिसाल बन गए। पौधे लगाए तो परिवार की तरह उनकी देखभाल की। उन्होंने अपने घर पर ही 200 से अधिक वट वृक्ष लगा रखे हैं, जिन्हें वो अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वह पिछले लगभग 40 वर्षों से इस पर काम कर रहे हैं। इंजेक्शन की शीशी से लेकर छोटे-मोटे बर्तन तक में वट वृक्ष लगे हैं। उनके पास 0 से लेकर 20 साल तक के पुराने वट वृक्ष गमलों में लगे हुए हैं।

नगर के मोहल्ला साहित्य विहार कॉलोनी निवासी शशि मोहन शर्मा को स्वामी बिजनौरी के नाम से भी जाना जाता है। मेरठ में ऊर्जा निगम में एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त शशि मोहन शर्मा को बचपन से ही प्रकृति और पर्यावरण से अटूट प्रेम है। वर्तमान में उनकी आयु लगभग 70 साल हो चुकी है।

इस आयु में भी प्रकृति से इस अनूठे प्रेम का ये जज्बा कम नहीं हुआ और वे आज भी पूरी ऊर्जा से पीपल, वट, नीम आदि पौधे रोपित कर रहे हैं। प्रकृति से अनूठे प्रेम के चलते उन्होंने करीब 40 साल पहले से पौधारोपण का काम शुरू किया। इनके घर में भी लगभग 250 पौधे ग्लास, कप, खाली डिब्बों, बोतल, शीशी, गमलों आदि में लगे हुए हैं। खास बात ये है कि उनको केवल घर में ही नहीं, बल्कि जहां पर भी उन्होंने नौकरी की अपने कार्यालयों तथा सड़कों के किनारे भी कई स्थानों पर पौधे रोपित किए। 

चंडीगढ़ में मिली प्रेरणा
शशि मोहन शर्मा बताते हैं कि उन्हें गार्डन चंडीगढ़ के संस्थापक नेकचंद से ऐसा करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने इसी किताब में पढ़ा था कि एक बरगद पाल कर अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त कर सकते हैं। बरगद ही प्राणी मात्र को शुद्ध ऑक्सीजन देने का काम करता है। तभी से उन्होंने प्रण लिया था कि वे हमेशा लोगों को बरगद का महत्व बताएंगे और उसकी पौध ही लगाएंगे। बरगद की पौध लगाने का यह सिलसिला वर्ष 1981 से चल रहा है। शुरुआती दौर में पत्नी ने उनका विरोध किया था, लेकिन अब उनके इस काम में पूरा परिवार सहयोग करता है। अब तक बरगद के लाखों पौधे रोपने पर स्वामी बिजनौरी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। 

लेखन कला में भी धनी हैं शशि मोहन शर्मा
चंदौसी में 1951 में जन्मे शशि मोहन शर्मा की शिक्षा मुरादाबाद में हुई और इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद पहले नलकूप और उसके बाद विद्युत निगम में नौकरी हासिल की। मेरठ में विद्युत निगम में एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए। स्वामी बिजनौरी के नाम से भी इन्होंने विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख लिखे। नियमित हास्य, व्यंग्य एवं आखिर रहस्य क्या था, सीरीज की उनकी लगभग 200 रचनाएं विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।