महानगरों के बाद छोटे जिलों में कोरोनावायरस हमलावर है। महानगरों में जहां 85 फ़ीसदी तक एक्टिव केस कम हुए हैं वही छोटे जिलों में यह गिरावट 1 से 40 फ़ीसदी तक है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने इन जिलों में कांट्रैक्ट ट्रेसिंग की टीमें बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
कोरोनावायरस की चेन महानगरों से शुरू होकर अब गांवों तक पहुंच गई है। अप्रैल माह में जिन जिलों में वायरस का असर तेज था वहां अब तेजी से गिरावट हुई है। लेकिन जिन जिलों में मई माह में संक्रमण बड़ा है वहां अभी भी एक्टिव केस कम नहीं हो रहे हैं। मई माह के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं। लखनऊ में 1 मई को 41042 केस थे, जो अब 8855 पर आ गए हैं।
इसी तरह कानपुर नगर 17042 से घटकर 2766 केस, प्रयागराज में 12758से घटकर 1914 और वाराणसी में 14971से घटकर 5565 केस हो गए हैं। इससे अलग छोटे जिलों की स्थिति देखी जाए तो यहां पहले सबसे कम मरीज मिल रहे थे। लेकिन अब मरीजों के मिलने की गति बढ़ गई। इस वजह से यहां एक्टिव केस मैं उस गति से कमी नहीं आई है, जैसा कि महानगरों में देखने को मिली। उदाहरण के तौर पर हाथरस में 1 मई को 455 एक्टिव के थे और अब 357, श्रावस्ती में 963 की जगह 478 है।
इसी तरह अंबेडकरनगर में 953थे, जबकि अभी 805 बरकरार हैं। इससे स्पष्ट है कि इन छोटे जिलों में पॉजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है।इस वजह से यहां एक्टिव केस में उस अनुपात में गिरावट नहीं हुई है जैसा कि बड़े शहरों में देखने को मिला है।
कांट्रैक्ट रेसिंग पर जोर, टीमें बढ़ीं
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी ने बताया कि जिन जिलों में लगातार मरीज मिल रहे हैं और एक्टिव केस कम नहीं हो रहे हैं वहां अलग से मॉनिटरिंग की जा रही है। इन जिलों में कांट्रैक्ट ट्रेसिंग टीमें बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। यह जिले छोटे हैं ऐसे में यहां हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। सप्ताह भर की स्थिति देखने के बाद दोबारा समीक्षा की जाएगी। उसी हिसाब से अगली रणनीति बनेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जिन जिलों में संक्रमण की दर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है वहां पीक का दौर निकल चुका है। ऐसे में उन जिलों में मरीजों की संख्या भी कम हो गई है। लेकिन जिन जिलों में धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ा है और पीक दर में आया है वहां अभी भी एक्टिव केस ज्यादा हैं। महानगरों में संक्रमण बढ़ने के बाद तमाम लोग गांव गए हैं। जिन छोटे जिलों में अभी भी एक्टिव केस हैं, वहां की स्थिति देखें तो यह बात सामने आती है कि उन गांव में बाहर से आने वाले लोग भी देर से पहुंचे हैं।
स्वाभाविक है कि वहां संक्रमण देर से पहुंचा है तो देर तक रहेगा। लेकिन मई माह के अंत तक सभी जिलों में एक्टिव केस का ग्राफ 500 से नीचे आने की उम्मीद है। लखनऊ में एक्टिव केस इसलिए भी ज्यादा रहेंगे क्योंकि यहां आस-पास के जिलों के भी लोग रहते हैं।
डॉ विक्रम सिंह, मेडिसिन विभागाध्यक्ष लोहिया संस्थान।