अशोक कुमार गुप्ता ,लखनऊ । चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आते जा रही है । परिवारिक विवाद को हवा देने की गति तेज की जा रही है । जिससे जनता में अब सन्देश जाने लगा है कि प्रदेश की असल मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने के लिए समाजवादी कुनबे का यह विवाद खड़ा किया है ।
समाजवादी पार्टी का उदय जाती-पात व सम्प्रदायिकता और गुंडा-माफियाओ से उपजी पार्टी मानी जाती है | जिसे जनता कई चुनाव में नकार चुकि है । इसका उदाहरण रहा है,की स्थापना से लेकर मुलायम सिंह अपने कार्यकाल तक कभी पूर्ण बहुमत की सरकार नही बना पाए । सपा युवराज अखिलेश को 2012 चुनाव की कमान सौपकर युवा चेहरा ,मजबूत निर्णय के बदौलत माफिया डीपी यादव को पार्टी से बाहर करके जो सन्देश देकर सत्ता की गद्दी पर रिकार्ड बहुमत से काबिज हुए । वही अखिलेश के सत्ता में आते ही परिवार सरकार पर काबिज हो गया । साढ़े चार साल तक विपक्ष आरोप लगाते रहे की मुख्यमंत्री स्वयं निर्णय नही लेते है । सत्ता परिवार के लोग चला रहे है । साथ ही चचा आजम खा का दबाव बिच-बिच में अखिलेश सरकार के कामकाज पर साफ़ देखा गया । अब ऐसा लग रहा है कि साढ़े चार साल तक मौन रहे अखिलेश को पुनः चुनावी छवि सुधारने की कवायद की जा रही है । पिछले यूपी विधान सभा की तरह इस बार भी माफियाओ की इंट्री कराकर , अखिलेश को कठोर निर्णय के लिए शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह को जिम्मेदार ठहरा कर कुछ दिनों के लिए पार्टी से बाहर किया जा सकता है । साढ़े चार साल तक सरकार के सभी मलाईदार विभाग शिवपाल के पास था । ट्रान्सफर पोस्टिंग भी शिवपाल के इशारे पर समानांतर सरकार चलती रही | इस बात की चर्चा प्रदेश की जनता भी भली-भात जानती है । ऐसा लगता है, विपक्ष और जनता का इन ध्यान भटकाने के लिए, परिवारिक विवाद बनाकर पार्टी को दो धड़े में बाटकर मीडिया सहित पूरे देश में अखिलेश को हीरो बनाने के स्क्रिप्ट तैयार किया गया है । अब अखिलेश की छवि समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव चमकाने में अहम भूमिका निभा रहे है । राम गोपाल यादव जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सरकारी कामकाज देखते थे ।
आरोप यह भी लगा की रामगोपाव यादव के सांसद पुत्र अक्षय यादव की पत्नी की कम्पनी को फायदा पहुचाने के लिए यादव सिंह को नोएडा विकास प्राधिकरण में मलालाइदार पद दियावाया था ।
चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आते जा रही है । उतना ही परिवारिक विवाद को हवा दी जाने लगी । जिससे जनता में सन्देश जाए कि अखिलेश यादव शिवपाल यादव जिनकी छवि जनता में विवादित नेता की है । जिन्होंने माफियाओ को इंट्री कराकर जनता का ध्यान बटाने के लिए अपनी पहली सूची में अतीक अहमद को टिकट देकर विवाद को और हवा दे दी । सूत्रो की माने तो यह सब सपा में एकजूट और जनता का ध्यान प्रदेश की असल मुद्दा से भटकाने के लिए शिवपाल और अमर सिंह को आगे करके किया गया ।
जब नोटबन्दी देश और प्रदेश की जनता बैको में कतार में खड़ी व मीडिया में नोटबन्दी छाया रहा तो सपा विवाद शांत रहा । जिस समाजवाद का उदय जाती-पात व सम्प्रदायवाद से उपजी है । अपने स्थापना से लेकर मुलायम सिंह अपने कार्यकाल तक कभी पूर्ण बहुमत की सरकार बना नही सके । अखिलेश को 2012 की सपा की कमान सौपकर युवा चेहरा मजबूत निर्णय के बदौलत माफिया डीपी यादव को पार्टी से बाहर करके जो सन्देश देकर सत्ता की गद्दी पर रिकार्ड बहुमत से सरकार तो बनाई लेकिन सत्ता में आते ही परिवार सत्ता पर काबिज हो गया । साढ़े चार साल तक आरोप विपक्ष लगाते रहे की मुख्यमंत्री स्वयं निर्णय करते नही है । परिवार के साथ-साथ , चचा आजम खा का दबाव अखिलेश सरकार के कामकाज पर साफ़ देखे गए । अब ऐसा लग रहा है कि साढ़े चार साल तक मौन रखे अखिलेश को पुनः दबंग के रूप में स्थापित करने के लिए माफियाओ की इंट्री कराकर शिवपाल को जिनकी छवि जनता में खराब है को आगे किया गया । जिसको परिवारिक विवाद बनाकर पार्टी को दो धड़े में बाटकर मीडिया सहित पूरे देश में अखिलेश को हीरो बनाने के स्क्रिप्टेड विवाद खड़ा किया गया है ।
अब अखिलेश की छवि समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव चमकाने में अहम भूमिका निभा रहे है । चचा आजम परिवार को जोड़ने की भूमिका में है । शिवपाल और अमर सिंह को खलनायक बनाकर विवाद की इन्हें विवाद का जड़ बताया जा रहा है । अब अमर सिंह और माफियाओ को पार्टी से बाहर करके 2012 चुनाव वाली साफ़-सुथरी छवि पेश करके अखिलेश यादव को चुनाव की कमान सौपने की तैयारी है ।
अखिलेश यादव के पक्ष में रामगोपाल यादव के साथ पूरा यादव कुनबा खदा है । दूसरी तरह सत्ता की धुरी रहे चचा आजम परिवार को जोड़ने की भूमिका में है । इन्हीने मुस्लिम चेहरा बनकर अपना और अपने जिला रामपुर में विकास कराया । इनका नाम मुजफ्फर नगर दंगे में उछल चुका है ।
विश्वस्त सूत्रो की माने तो अखिलेश की छवि चमकाने में तौयार स्क्रिप्ट के इशारे पर शिवपाल और अखिलेश कार्य कर रहे है । चुनाव बाद फिर एक हो जाएगे ।