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Pradosh Vrat: दिन के अनुसार बदल जाता है प्रदोष व्रत का महत्व, क्या है बुध प्रदोष व्रत कथा

Pradosh Vrat: देवों के देव महादेव भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में इस व्रत को बहुत कल्याणकारी माना गया है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में यह तिथि दो बार आती है। इसी वजह से यह व्रत भी महीने में दो बार रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना की जाती है।

प्रदोष व्रत बहुत ही उपयोगी और आसान व्रत में से एक है। इसके लिए आपको कोई खास तरीके से पूजा करने की जरूरत नहीं होती है। भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वो आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को माफ करके उनका कल्याण करते हैं। जुलाई के महीने में पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई को है। यह प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ रहा है। यहां हम आपको बुधवार सहित अलग-अलग दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का महत्व और कथा बता रहे हैं।

सोमवारः यह भगवान शिव का ही दिन माना जाता है। सोमवार को व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शुभ कार्यों के व्यवधान दूर होते हैं।

मंगलवारः इस दिन व्रत रखने से बीमारियों से राहत मिलती है और मंगल के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।

बुधवारः बच्चों की बेहतर सेहत रहती है और उनकी कुशाग्र बुद्धि के लिए बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है।

गुरुवारः दुश्मनों का नाश करने के लिए और पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं।

शुक्रवारः इस दिन व्रत रखने से शादीशुदा जिंदगी बेहतर रहती है और भाग्य अच्छा होता है। इससे दरिद्रता का भी नाश होता है।

शनिवारः शनिवार को व्रत रखने से संतान प्राप्त होती है, मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है और शनि संबन्धी दोष दूर होते हैं।

रविवारः इस दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत सेहत और लंबी उम्र के लिए लाभकारी होता है। इससे समाज में मान सम्मान और यश भी बढ़ता है।

क्या है प्रदोष व्रत कथा

नई-नई शादी के बाद एक युवक अपने ससुराल पहुंचा और अपनी पत्नी को बुधवार के दिन घर ले जाने को कहा। उसके ससुराल के सभी लोगों ने उससे कहा कि बुधवार के दिन पत्नी को अपने साथ न ले जाए, लेकिन वह नहीं माना। दोनों पति-पत्नी बैलगाड़ी से अपने घर की तरफ बढ़ चले। रास्ते में पत्नी को प्यास लगी तो पति लोटा लेकर पानी लेने चला गया। थोड़ी देर बाद वहा वापस लौटा तो उसकी पत्नी किसी दूसरे पुरुष के साथ पानी पी रही थी, जो देखने में बिल्कुल उसके जैसा था।

वह युवक अपने बहरूपिये के पास पहुंचा और उससे झगड़ा करने लगा। आवाज सुनकर वहीं भीड़ इकट्ठी हो गई। एक सिपाही भी आ गया। उसने स्त्री से पूछा कि तुम्हारा पति कौन है। स्त्री भी परेशान थी क्योंकि दोनों देखने में एक जैसे थे। अब पुरुष को बुधवार वाली बात याद आ गई। उसने मन ही मन भगवान शिव का ध्यान किया और क्षमा मांगते हुए इस मुसीबत से छुटकारा दिलाने को कहा इसके बाद दूसरा पुरुष अतर्ध्यान हो गया। इस घटना के बाद से उसने प्रदोष व्रत रखना शुरू कर दिया।