बागपत के रंछाड़ में आरएसएस नेता राम निवास के बेटे अक्षय द्वारा पुलिस उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या किए जाने के मामले में करीब दस घंटे बाद इंस्पेक्टर समेत 11 पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बाद ही ग्रामीणों ने शव को उठाने दिया। सारी रात सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौके पर डटे रहे और अधिकारी उन्हें मनाने में जुटे रहे। रंछाड़ गांव में सोमवार को कोरोना का टीका लगाने को लगाए कैंप में गांव के कुछ युवकों की पुलिस से हाथापाई हो गई थी। इस मामले में शाम के समय बिनौली पुलिस ने आरोपियों की तलाश में रंछाड़ में दबिश दी। हाथापाई के एक आरोपी 22 वर्षीय अक्षय के घर दबिश दी। उसके नहीं मिलने पर पुलिस ने उसके घर में तोड़फोड़ करते हुए उसकी मां व ताई को हिरासत में लिया। पुलिस की इस कार्रवाई से अक्षय इतना डर गया कि उसने अपने खेत में जाकर नीम के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर दी थी। इसके विरोध में ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए अक्षय के शव को पोस्टमार्टम के लिए जाने नहीं दिया।ग्रामीण की मांग थी कि जब तक दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नही होती,जब तक शव नहीं उठेगा। सारी रात ग्रामीण व पुलिस अधिकारी मौके पर जमे रहे। एएसपी मनीष मिश्र ग्रामीणों को समझाने में लगे रहे,लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे। मंगलवार सुबह करीब साढ़े छह बजे 11 पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बाद ही ग्रामीणों का हंगामा शांत हुए। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम को भेजा।