चीन के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका क्वाड के विस्तार की योजना पर गंभीरता से काम करना चाहता है। चीन की ओर से क्वाड की राह में रोड़ा अटकाने की कोशिश के बाद अमेरिका ने भी अपना प्रभाव दिखाने की कूटनीतिक कवायद शुरू की है। भारत के साथ मिलकर क्वाड को समान विचार वाले देशों से समन्वय और विचार विमर्श के लिए व्यापक बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
अमेरिका और भारत मानते हैं कि ये समूह केवल विशेष देशों का समूह नहीं है, बल्कि आने वाले दिनों में वैश्विक और क्षेत्रीय जरूरत के मुताबिक इसे समान विचारधारा वाले देशों के बड़े गठबंधन के रूप में देखा जा सकता है। क्वाड के विस्तार को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान भी चर्चा हुई थी। इससे साफ है कि अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड को मजबूत बनाने पर गंभीर है।
भारत और अमेरिका का मानना है कि क्वाड साझा हितों पर आधारित साझेदारी है। इसे एक विशेष समूह बनाने का इरादा नहीं है। कोई भी देश जो स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की वकालत करता है वह इसका हिस्सा किसी न किसी रूप में बन सकता है। कोविड के दौरान इसे और भी प्रभावी तरीक़े से महसूस किया गया है। अमेरिका, भारत सहित क्वाड के अन्य देशों ने कोविड सहयोग के विस्तार के लिए क्वाड के मंच का उपयोग किया है। जानकारों का कहना है कि भारत और अमेरिका बहुलतावादी दृष्टिकोण अपना रहे हैं। दोनों ने साफ किया है कि ये सैन्य गठबंधन नहीं है। इसलिए अनावश्यक रूप से कुछ देशों को चिंता और अवरोध खड़ा करने की जरूरत नहीं है। क्वाड देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर संवाद व संपर्क बढ़ाने के साथ आसियान देशों और दक्षिण एशिया के समान विचारधारा वाले देशों से संपर्क बढ़ाने की मुहिम इसी रणनीति का हिस्सा है।