चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के मद्देनजर भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बातचीत एक बार फिर होगी। शनिवार को दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की 12वें राउंड की वार्ता होनी है। हालांकि, इससे पहले इस अहम बातचीत की तारीख चीन ने 26 जुलाई तय की थी। लेकिन करगिल दिवस की वजह से भारत ने चीन को तारीख आगे बढ़ाने के लिए कहा था। जिसके बाद अब यह बैठक 31 जुलाई को होगी। जानकारी के मुताबिक यह वार्ता सुबह 10.30 बजे शुरू होगी। यह बैठक चीनी हिस्से के मोल्डो में होगी।पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के पास उभरे विवाद के बाद से भारत और चीन के सैनिकों में संघर्ष के कारण सीमा पर स्थिति काफी तनावपूर्ण है। इस तनाव को कम करने के लिए अब तक कई दौर की वार्ता हो चुकी है। जिसके बाद फिलहाल एलएसी के पास शांति तो है लेकिन तनाव कम नहीं हुआ है। उम्मीद है कि पूर्वी लद्दाख के पास तनाव को कम करने के लिए भारत चीन सैन्य कमांडरों की इस बैठक में एक बार फिर चर्चा होगी और हालात सामान्य हो सकेंगे। न्यूज एजेंसी ‘ANI’ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस वार्ता के दौरान भारत और चीन के बीच हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स एरिया से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा हो सकती है।
पिछली वार्ता में क्या हुआ?
इससे पहले भारत और चीन के सैन्य कमांडरों में ग्यारहवें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख स्थित चुशूल में नौ अप्रैल को हुई थी। वार्ता में इस बात पर बल दिया गया था कि विवाद के बाकी क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का रास्ता बनाएगी। दोनों देशों के बीच एक साल से ज्यादा समय से सैन्य तनातनी कायम है, लेकिन विभिन्न स्तरों की वार्ता के बाद दोनों देशों के सैनिक पैंगोंग झील से वापस हुए थे।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
आपको बता दें कि दोनों मुल्कों के बीच ताज़ा विवाद अप्रैल 2020 में उस वक्त शुरू हुआ था जब चीन ने विवादित एलएसी के पूर्वी लद्दाख और अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों के साथ मोर्चाबंदी कर दी थी। इसके बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे इलाकों में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। जून के महीने में यह तनाव हिंसा में तब्दील हो गई और दोनों देशों के कई सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हो गया। इस लड़ाई में भारत के कई जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिक भी मारे गये। इसके बाद इसी साल फरवरी के महीने में दोनों देशों के बीच समझौते की घोषणा हुई जिसके तहत उन्हें पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर चरणबद्ध और समन्वित तरीके से तनाव को कम करना था। हालांकि, इसके बावजूद दोनों देशों के बीच अब भी गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक और डेपसांग जैसे इलाकों को लेकर चल रहा विवाद सुलझा नहीं है।