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रामजन्मभूमि के 107 एकड़ परिसर का विकास करेगी अलग-अलग कंपनी

रामजन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला के मंदिर यानी भाग एक का निर्माण गति पकड़ चुका है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने वर्ष 2023  इसकी समय सीमा भी तय कर दी है। उधर रामजन्मभूमि परिसर जिसे ट्रस्ट की भाषा में भाग-दो कहा जा रहा है, उसके विकास के लिए एजेंसियों के चयन पर मंथन शुरू हो चुका है। रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने यह जिम्मेदारी मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र व उनकी समिति सदस्यों को सौंपी है। परिसर में प्रस्तावित अलग-अलग योजनाओं को लेकर मंदिर निर्माण समिति अलग-अलग विशेषज्ञ कंपनियों के साथ बैठक कर उनसे विमर्श कर रही है। इन बैठकों में सम्बन्धित कंपनियां अपने डिजाइन का प्रस्तुतीकरण भी कर रही हैं।इसकी पुष्टि करते हुए रामजन्मभूमि ट्रस्ट के न्यासी कामेश्वर चौपाल ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि रामजन्मभूमि के 70 एकड़ परिसर में से पांच एकड़ परिसर सुपर स्ट्रक्चर के लिए आरक्षित कर दिया गया है। शेष 65 एकड़ परिसर का भी विस्तार हो चुका है जो कि अब करीब 107 एकड़ में परिवर्तित हो गया है। इस पूरे परिसर में निर्धारित यात्री सुविधाओं के अलावा शेष भाग को अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जाना है। इस परिसर का विकास वैदिक परम्पराओं को संरक्षित रखते हुए अत्याधुनिक ढंग से विकसित किया जाएगा। वह कहते हैं कि परिसर की संरचना ऐसी हो जिसमें त्रेतायुग की स्मृतियां समाहित हों और जब श्रद्धालु गण यहां पहुंचे तो उन्हें इस भजन ‘ मेरे मन में राम, तन में राम, मेरे रोम-रोम में राम रे.. ‘ की अनुभुति हो।