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School Reopen:नौवीं से 12वीं तक की क्लासेज में कम पहुंचे स्टूडेंट्स,उत्तराखंड में दिखा मिला-जुला असर

उत्तराखंड में सोमवार से नौवीं से 12वीं तक के छात्राें के लिए स्कूल खोलने के आदेश के बाद पहले दिन मिला-जुला असर दिखाई दिया। स्टूडेंट्स की संख्या स्कूलाें में कम दिखाई दी लेकिन, कई महीनों के बाद दोस्ताें को स्कूल में देखकर छात्रों के चेहरे खिल उठे। राजधानी देहरादून में कई निजी स्कूल नहीं खुले। हालांकि, जो स्कूल खुले उनमें बच्चों की उपस्थिति ठीक रही। विवेकानन्द स्कूल, जीआरडी स्कूल, दून इंटरनेशनल स्कूल में क्लासें चलीं। स्कूल प्रबंधन की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के नियम का पालन कराया जा रहा है। सेनेटाइजेशन की व्यवस्था की गई है। शहर के सभी केंद्रीय विद्यालय खुले गए हैं।हालांकि इनमें बच्चों की उपस्थिति औसत रही। उधर, स्कालर्स होम, एशिएन स्कूल, ऐन मैरी समेत स्कूल नहीं खुले। स्कूल नहीं खुलने का कारण आदेश नहीं मिलना बताया गया। गढ़वाल मंडल में हरिद्वार, उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी आदि जिलों में भी स्कूलों में क्लासेज संचालित की गई।  रुड़की में 9 से 12 की क्लास खुलने के बाद छात्रों में खासा जोश दिखाई दिया। पहले दिन काफी संख्या में छात्र स्कूल पढ़ाई करने को पहुंचे हैं। स्कूल प्रबंधन ने एसओपी का पालन कराते हुए छात्रों को स्कूल में एंट्री दी। सभी छात्रों की थर्मल स्क्रिनिग और सेनेटाइज करने के बाद ही क्लास में जाने की अनुमति दी गई। हरिद्वार के डॉ हरिराम आर्य इंटर कालेज, मायापुर के प्रधानाचार्य मेजर आनंद कर शर्मा ने बताया कि 250 में से 125 छात्र आये हैं। कोविड नियमों का पालन करते हुए छात्रों को क्लासेज में बैठाय गया है। 

वहीं दूसरी ओर,कुमाऊं के हल्द्वानी शहर में भी सरकारी व प्राइवेट स्कूल आज खुल गए हैं। स्कूल जाने को लेकर छात्रों में काफी उत्साह दिखाई दिया। स्कूल में प्रवेश करने से पहले छात्रों का तापमान जांच गया। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए क्लासेज शुरू की गईं है। स्कूल प्रशासन की ओर से स्कूल खोलने के लिए प्रशासन की ओर से जारी कोविड गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन किया जा रहा है। काशीपुर, रुद्रपुर, नैनीताल,चंपावत आदि जिलों में भी स्कूल खोले गए।

सहमति फार्म भरवाने को लेकर एतराज 
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि स्कूलों द्वारा परिजनों से सहमति फार्म भरवाया जा रहा है कि यदि आपका बच्चा संक्रमित होता है तो उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। इससे परिजनों को सख्त एतराज है। इसीलिए अधिकांश परिजनों का कहना है कि वो स्कूल बच्चों को नहीं भेजेंगे। ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन की उत्तराखंड अध्यक्ष भूमिका यादव, उत्तराखंड अभिभावक संघ के मंत्री मनमोहन जायसवाल, अभिभावक एकता समिति अध्यक्ष लव चौधरी ने कहा कि स्कूल मनमानी पर उतर आए हैं। स्कूलों के दबाव में फैसले लिये जा रहे हैं। स्कूलों को बच्चों की कतई फिक्र नहीं है। महाराष्ट्र में बच्चे स्कूलों में जाकर संक्रमित हो रहे हैं। इसीलिए कतई बच्चों की जान से खिलवाड़ नहीं होने चाहिये। 

गाइडलाइन का पालन होगा
मुख्य शिक्षा अधिकारी डा. मुकुल कुमार सती ने बताया कि गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराया जाएगा। कक्षाओं, परिसर एवं शौचालयों को सेनेटाइज कराया जा रहा है। सभी बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था होगी। बच्चों की ऑनलाइन एवं ऑफलाइन और ऑड इवन के हिसाब से कक्षएं चलेगी। स्वच्छता, कोविड प्रोटोकाल हर स्कूल में सख्ती से पालन कराया जाएगा। हर स्कूल में एक नोडल अधिकारी बनेगा, जो बच्चों की सेहत एवं गाइडलाइन का ध्यान रखेगा।  

बच्चों के समग्र विकास के केंद्र हैं स्कूल : डॉ. एनएस बिष्ट 
बच्चों के लिए स्कूल खोलने या बंद रखने की बहस के बीच सीनियर फिजिशियन डॉ. एनएस बिष्ट राय गौर करने वाली है। डॉ. बिष्ट ने दुनिया के कई देशों का उदाहरण देते हुए स्कूलों को बच्चों के लिए सुरक्षित बताया है। डॉ. बिष्ट का कहना है कि चुनिंदा अल्प संसाधनों वाले देशों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर देशों में स्कूल खुल चुके हैं या खुलने जा रहे हैं। यहां वैक्सीनेशन के बिना स्कूल नहीं खोलने को लेकर गर्मागर्म बहस हो रही है। डॉ. बिष्ट के अनुसार, कम उम्र के बच्चों में गंभीर कोरोना का खतरा न्यूनतम है। तीसरी लहर की आशंका के बीच स्कूल खोलने के कदम का कई अभिभावक विरोध कर रहे हैं। जबकि बच्चों को घरों में कैद हुए डेढ़ साल बीत चुके हैं। इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि स्कूल सिर्फ शिक्षा नहीं देते, बल्कि बच्चों के समग्र विकास के केंद्र हैं। बच्चों के लिए स्कूल सुरक्षा-कवच का काम करते हैं। ये सवाल नहीं उठना चाहिए कि स्कूल खुले या नहीं, बल्कि बहस इस बात पर होनी चाहिए कि हम अपने शिक्षा तंत्र को और कितना गहन और विविधतापूर्ण बना सकें, ताकि बच्चों से छीने हुए 18 महीने उनको लौटा सकें। डॉ. बिष्ट के अनुसार, अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में 90 हजार स्कूली बच्चों में हुए अध्ययनों में पाया गया है कि कोरोना की स्कूली संक्रमण और प्रसार की दर सामुदायिक संक्रमण से नीचे है। विस्कोंसिन के 17  स्कूलों में हुए शोध बताते हैं कि बच्चों के लिए सामाजिक क्षेत्र से अधिक सुरक्षित स्कूल हैं। ये अध्ययन अभिभावकों की चिंता तो कम करते हैं। तीसरी लहर में जरूरत वयस्कों द्वारा सामुदायिक प्रसार को रोकने की है।