भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर अपनी मंशा साफ कर दी कि पाकिस्तान के साथ वह कैसा संबंध रखना चाहता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है लेकिन इसके लिए अनुकूल माहौल बनाना इस्लामाबाद की जिम्मेदारी है। वर्ष 2021-22 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य भारत ने पारी के आधार पर अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इस शक्तिशाली अंग की अध्यक्षता संभाली है।
टी एस तिरुमूर्ति ने यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाताओं को सुरक्षा परिषद के ‘प्रोग्राम ऑफ वर्क पर जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘मैं यह बिलकुल स्पष्ट कहना चाहता हूं कि भारत पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है। मुद्दों पर हमारा निंरतर रुख यह रहा है कि यदि भारत एवं पाकिस्तान के बीच मुद्दे हैं तो उनका द्विपक्षीय एवं शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए।’
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने दोनों देशों के बीच शिमला समझौते का हवाला दिया जिसमें द्विपक्षीय चर्चा एवं मुद्दों को हल करने की बात कही गई है। उन्होंने कहा, ‘इसका समाधान एक ऐसे माहौल में किया जाना चाहिए जो आतंक, शत्रुता एवं हिंसा से मुक्त हो। इसलिए फिलहाल ऐसा माहौल बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है जिसमें अपने नियंत्रण वाली जमीन को भारत के विरुद्ध सीमा पार आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने के लिए भरोसेमंद कदम शामिल हैं।’
तिरुमूर्ति ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी कथनी एवं करनी एक रखनी चाहिए और इसे साबित करना चाहिए। यही हमारा रुख है। वहीं, कश्मीर मसले पर उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग है और यदि किसी के दर्जे में किसी परिवर्तन की जरूरत है तो वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को खाली करने से जुड़ी है। सुरक्षा परिषद के ‘प्रोग्राम ऑफ वर्क पर यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद निरोधक एवं शांति के अहम विषयों पर प्रमुख कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा।
जम्मू कश्मीर और वहां अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘शुरू में ही मैं कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग है । मैं समझता हूं कि इसे स्वीकार कर लेना ही जरूरी है। और जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश से जुड़े मुद्दे भारत के अंदरूनी विषय हैं। परिषद, जब भी उसके सामने यह विषय उठाया गया तब, करीब उसके सभी सदस्य इसपर सहमत रहे कि यह मुद्दा परिषद के लिए चर्चा का विषय नहीं है।’