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City of Dreams S2 Review: बाप- बेटी की जंग और राजनीति की बिसातें दिखाती है ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स 2’, करीब 8 घंटे की सीरीज देखने से पहले पढ़ें रिव्यू

वेब सीरीज:  सिटी ऑफ ड्रीम्स सीजन 2
निर्देशक:  नागेश कुकुनूर
मुख्य कास्ट:  अतुल कुलकर्णी, प्रिया बापट, एजाज खान, सचिन पिलगांवकर और सुशांत सिंह
ओटीटी:  डिज्नी प्लस हॉटस्टार

वेब सीरीज ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स सीजन 2’, डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। पिछले सीजन में जहां महाराष्ट्र की सत्ता के लिए भाई और बहन आमने सामने दिखे थे तो वहीं इस सीजन में पिता और बेटी के बीच में राजनीतिक बिसातें सजीं देखने को मिलती हैं। करीब 45-50 मिनट के 10 एपिसोड्स को देखने से पहले आप पढ़ें ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स 2’ का रिव्यू।

क्या है कहानी
‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’ के पहले सीजन में भाई और बहन आमने सामने थे, जहां पूर्णिमा गायकवाड़ (प्रिया बापट) राजनीति के दलदल में फंसकर भाई आशीष राव गायकवाड़ (सिद्धार्थ चंदेरकर) को मौत की नींद सुला देती हैं। हालांकि ऐसा करने और होने के पीछे भी काफी उथल पुथल देखने को मिलती है। दूसरे सीजन में कहानी इसके बाद आगे बढ़ती है, जहां पूर्णिमा महाराष्ट्र की मुख्यमंत्री हैं और उनके पिता अमेय राव गायकवाड़ (अतुल कुलकर्णी) न सिर्फ अपने बेटे की मौत का बदला लेना चाहता है, बल्कि अपनी खोई हुई सत्ता भी वापस पाना चाहता है। इस कहानी में वसीम खान (एजाज खान), जगदीश गौरव (सचिन पिलगांवकर) सहित अन्य किरदार न सिर्फ राजनीति बल्कि बाप- बेटी की लड़ाई में अपना अपना किरदार निभाते हैं।

कैसी है एक्टिंग और निर्देशन
अतुल कुलकर्णी, प्रिया बापट, एजाज खान और सचिन पिलगांवकर ने पहले सीजन से भी अधिक बेहतर तरीके से सीरीज को बांधे रखने का काम किया है। वहीं सुशांत सिंह अपने किरदार में वो कमाल नहीं दिखा पाए जो उनसे उम्मीद थी। इन सबके बीच में तान्या मेहता का किरदार निभाने वालीं अभिनेत्री श्रियम भगनानी का किरदार भले ही कम रहा लेकिन उन्होंने पूरी तरह से दिल जीतने वाला काम किया है। वेब सीरीज के निर्देशक नागेश कुकुनूर का भी काम ठीक है, हालांकि बेहतरी की उम्मीद बाकी है। 

क्या कुछ रहा खास और कहां रह गई कमी
‘सिटी ऑफ ड्रीम्स 2’ में एक ओर जहां प्रमुख किरदारों को काफी सटीकता के साथ पिरोया गया है तो वहीं कई सेकेंड किरदारों और कई सीन्स को देखकर बतौर दर्शक आपके मन में सवाल उठता है कि इसकी क्या जरूरत थी। सीरीज में कई ऐसे सीन्स हैं, जहां आप खुद से सवाल करने लगते हैं कि ये सही किया गया या नहीं… क्या सच में राजनीति ऐसी होती है…। सीरीज के कुछ सीन्स और डायलॉग्स वाकई काफी अच्छे हैं। सीरीज में कुल 10 एपिसोड्स हैं, जो करीब 40-45 मिनट के हैं, ऐसे में इसकी लंबाई काफी खलती है, क्योंकि कई सीन्स को वेबजह लंबा खींचा गया है।

क्या कुछ रहा खास और कहां रह गई कमी
‘सिटी ऑफ ड्रीम्स 2’ में एक ओर जहां प्रमुख किरदारों को काफी सटीकता के साथ पिरोया गया है तो वहीं कई सेकेंड किरदारों और कई सीन्स को देखकर बतौर दर्शक आपके मन में सवाल उठता है कि इसकी क्या जरूरत थी। सीरीज में कई ऐसे सीन्स हैं, जहां आप खुद से सवाल करने लगते हैं कि ये सही किया गया या नहीं… क्या सच में राजनीति ऐसी होती है…। सीरीज के कुछ सीन्स और डायलॉग्स वाकई काफी अच्छे हैं। सीरीज में कुल 10 एपिसोड्स हैं, जो करीब 40-45 मिनट के हैं, ऐसे में इसकी लंबाई काफी खलती है, क्योंकि कई सीन्स को वेबजह लंबा खींचा गया है।

क्या कुछ रहा खास और कहां रह गई कमी
‘सिटी ऑफ ड्रीम्स 2’ में एक ओर जहां प्रमुख किरदारों को काफी सटीकता के साथ पिरोया गया है तो वहीं कई सेकेंड किरदारों और कई सीन्स को देखकर बतौर दर्शक आपके मन में सवाल उठता है कि इसकी क्या जरूरत थी। सीरीज में कई ऐसे सीन्स हैं, जहां आप खुद से सवाल करने लगते हैं कि ये सही किया गया या नहीं… क्या सच में राजनीति ऐसी होती है…। सीरीज के कुछ सीन्स और डायलॉग्स वाकई काफी अच्छे हैं। सीरीज में कुल 10 एपिसोड्स हैं, जो करीब 40-45 मिनट के हैं, ऐसे में इसकी लंबाई काफी खलती है, क्योंकि कई सीन्स को वेबजह लंबा खींचा गया है।

देखें या नहीं
कहते हैं इश्क और जंग में सब कुछ जायज है और राजनीति में तो इश्क और जंग दोनों ही होते हैं। सिटी ऑफ ड्रीम्स 2 की रफ्तार तेजी से आगे नहीं बढ़ती है, लेकिन धीरे- धीरे रंग जमाती है। हालांकि इसकी लंबाई अखरती है। ऐसे में अगर आपके पास वक्त की कमी नहीं है तो आप इसे देख सकते हैं।