कोरोना वायरस के नए स्वरूप डेल्टा के मौजूदा प्रकोप के दौरान युवा वयस्कों को वैश्विक महामारी की शुरुआत की तुलना में अस्पतालों में बड़ी संख्या में भर्ती कराने की नौबत आ रही है। यह सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी देखने को मिल रहा है। न्यू साउथ वेल्स में 13 जुलाई से 17 जुलाई के बीच, सबसे ज्यादा 30 से 49 आयु वर्ग के लोगों को कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से 45 लोगों की उम्र 30 से 40 साल के बीच थी (कोविड के कारण भर्ती हुए लोगों का 26 प्रतिशत)।
49 वर्ष और इससे कम उम्र के 13 लोगों को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा जो आईसीयू में भर्ती हुए लोगों का 36 प्रतिशत था जिनमें से सबसे कम उम्र का व्यक्ति एक किशोर था। इस चिंताजनक स्थिति के पीछे क्या कारण हो सकता है? क्या यह तथ्य कि अधिक उम्र के अधिकतम लोगों को अब टीका लग चुका है। या शायद यह कि डेल्टा स्वरूप युवा लोगों में ज्यादा गंभीर बीमारी फैला रहा है? कुछ हद तक दोनों बातें इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
अधिक उम्र होना सबसे बड़ा जोखिम कारक
पिछले साल कोविड-19 के बारे में पता चलने के बाद यह साफ हो गया था कि बुजुर्गों के ज्यादा बीमार होने की आशंका है। यह बात अन्य संक्रामक बीमारियों के बारे में भी सच है। पिछले साल के अंत में प्रकाशित एक समीक्षा में बढ़ती उम्र के साथ संक्रमण से मृत्यु दर (कोविड-19 से मरने की आशंका यदि आपको कोरोना वायरस से संक्रमण होता है) में तेजी से वृद्धि दर्शाती है>
10 साल तक की उम्र – 1,00,000 में दो
25 साल तक की उम्र – 10,000 में एक
55 साल – 1,000 में चार
65 साल- 1,000 में 14
75 साल – 100 में पांच
85 साल – 100 में 15
लेकिन युवा लोगों के संक्रमित होने की अधिक आशंका है। 20 वर्ष की आयु के लोग ऑस्ट्रेलिया और विदेशों में लगातार कोविड-19 के मामलों में बड़े अनुपात में शामिल हैं। यदि हम ऑस्ट्रेलिया में महामारी शुरू होने के बाद से दर्ज किए गए कोविड के सभी मामलों को देखें, तो 20 से 29 वर्ष के युवाओं की संख्या सबसे अधिक (कुल संक्रमणों का लगभग 22%) है।
विभिन्न रिपोर्ट दिखाती हैं कि न्यू साउथ वेल्स में बृहस्पतिवार को दर्ज नए मामलों में से 67 प्रतिशत मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों से जुड़े हैं। कुछ लोगों ने 40 साल से कम उम्र के लोगों के ज्यादा सामाजिक संपर्क रखने को इस आयु वर्ग में अधिक संक्रमण दर की वजह बताया है। लेकिन समान रूप से यह भी स्वीकार किया गया है कि युवा लोगों की बड़े पैमाने पर जांच, बुजुर्गों द्वारा अधिक बचाव (घर पर रहकर संक्रमण के जोखिम को कम करना) और युवाओं में शारीरिक दूरी से जुड़े महत्त्वपूर्ण जन स्वास्थ्य संदेशों को पहुंचाने में विफलता को भी कारण माना जा रहा है। कारण जो भी हैं, लेकिन जहां युवाओं में कोविड-19 से मरने का जोखिम कम दिखा है, लेकिन यह साफ तौर पर जाहिर है कि अगर ज्यादा युवा संक्रमित होंगे तो गंभीर बीमारी होने और मौत का जोखिम भी उन्हीं में ज्यादा होगा।
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