कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप से पार पाने में दुनिया के ऐसे देश भी असफल हो रहे हैं, जिनकी संक्रमण पर काबू करने के लिए नजीर दी जाती थी। जब पूरी दुनिया कोरोना की पहली लहर से जूझ रही थी तो चीन, ऑस्ट्रेलिया समेत सात देशों की जीरो टॉलरेंस रणनीति के जरिए लंबे वक्त तक स्थानीय संक्रमण पर नियंत्रण रखा था। पर डेल्टा वेरिएंट ने इस रणनीति को चुनौती दी है।
ऑस्ट्रेलिया : सख्त तालाबंदी के बाजवूद संक्रमण
स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलने पर प्रभावित क्षेत्रों में ऑस्ट्रियाई सरकार कड़ी तालाबंदी लागू करने की रणनीति अपनाती रही है। इससे त्रस्त होकर अब लोग तालाबंदी के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करने लगे हैं जिनके हिंसक हो जाने की खबरें आती रहती हैं। इस वक्त न्यू साउथ वेल्स राज्य कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है और अबतक का सबसे सख्त लॉकडाउन जारी है । वहीं, लोग तालाबंदी के विरोध में सड़कों पर हैं। दबाव बढ़ने पर स्थानीय प्रशासन ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट के कारण बढ़ रहे संक्रमण से निपटने के लिए तेजी से 50 फीसदी आबादी को टीका लगाया जाएगा ताकि तालाबंदी में ढील दी जा सके।
चीन : टेस्टिंग और टीकाकरण भी कारगर नहीं हुए
जिस वुहान से कोरोना संक्रमण की शुरूआत हुई थी, सालभर बाद डेल्टा वेरिएंट के कारण यह शहर संक्रमण की चपेट में है। मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में तेजी से फैले संक्रमण से निपटने के लिए चीनी प्रशासन ने एकबार फिर आक्रमक ढंग से जांचें और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कराने की रणनीति अपनायी है। सप्ताहभर में ही 1.1 करोड़ जनता की जांच कर दी गई जिसके लिए 2800 केंद्रों पर 28 हजार स्वास्थ्यकर्मी लगाए गए। इस मामले में विदेश संबंध परिषद में कार्यरत वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हुआंग यानजोंग का कहना है कि
अब तक चीन मुट्ठी भर नए मामले आने पर भी बड़े पैमाने पर जांचें और तालाबंदी की रणनीति अपनाता रहा है। यहां टीकाकरण तो तेजी से हुआ पर जो दो टीके उपयोग किए जा रहे हैं, वे डेल्टा पर 50 और 79 फीसदी ही प्रभावी हैं। ऐसे में उन्हें बूस्टर डोज लगानी होंगी।
थाईलैंड – नई चुनौती से नहीं लड़ सकी पुरानी रणनीति
2020 में इस देश ने सख्त तालाबंदी, परीक्षण और ट्रेस सिस्टम के जरिए कोविड के बुरे दौर से खुद को बचाए रखा। पर डेल्टा वेरिएंट फैलने के बाद पुरानी रणनीति कारगर नहीं हो सकी क्योंकि कोरोना का यह स्वरूप 200 फीसदी तक ज्यादा संक्रामक है। विशेषज्ञों का आरोप है कि थाईलैंड सरकार ने अति आत्मविश्वास के चलते टीकाकरण को गंभीरता से नहीं लिया। इसी का नतीजा था कि बीते माह बैंकॉक में अस्पतालों में जगह नहीं बची और मरीजों को रेलगाड़ियों से दूसरे शहर भेजा गया। कई लोग इलाज की कमी से मारे गए।
मलेशिया – रोलमॉडल से सुपर स्प्रेडर बना
एक समय तक कोविड रोलमॉडल रहा मलेशिया अबतक की सबसे खतरनाक लहर से जूझ रहा है। सरकार ने जांच, ट्रेसिंग की रणनीति के आधार पर लंबे वक्त तक सफलता पायी और डेल्टा वेरिएंट फैलने के बाद भी इस रणनीति में बदलाव नहीं किया। अतिआत्मविश्वास में चुनावी रैलियां करायी गईं जो सुपर स्प्रेडर बन गईं। मेडिकल, जांचें और जनता से संवाद कायम करने से संसाधन होने पर भी यह देश डेल्टा के सामने खड़ा नहीं हो सका।
फिजी – तेजी से फैले संक्रमण की चुनौती
डब्लूएचओ के मुताबिक, फिजी दुनिया के ऐसे चंद देशों में शामिल हैं जहां सबसे तेजी से संक्रमण फैल रहा है। अप्रैल में शुरू हुई लहर अब तक मंद होने का नाम नहीं ले रही है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि संसाधन खत्म हो जाने के कारण सरकार ने जांचें कराना ही बंद कर दिया है। लोगों को अस्तपाल से लौटाया जा रहा है। जबकि इस देश ने लगभग 14 महीनों तक पूरी तरह खुद को संक्रमण से बचाए रखा था।
इंडोनेशिया – नजीर से दुनिया का कोविड हॉटस्पॉट बन गया
इस देश की रणनीति की भी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ पूर्व में प्रशंसा करते रहे हैं लेकिन यही अतिआत्मविश्वास इंडोनेशिया पर भारी पड़ा। भारत में दूसरी लहर ने जिस तरह की तबाही बरपायी, ठीक ऐसा ही हाल उत्तर-पूर्व एशिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का हो गया। हाल के दिनों तक यह देश दुनिया में कोरोना का हॉटस्पॉट बना रहा। यहां अब तक केवल नौ फीसदी आबादी को ही दोनों डोज लग सकी हैं। चिकित्साकर्मियों में टीकाकरण के बाद भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं क्योंकि जिस चीनी टीके का उपयोग किया जा रहा है, वह डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी है।
ताइवान – धीमा टीकाकरण घातक साबित हुआ
करीब 15 महीनों तक इस देश ने अपनी सीमाओं को बंद रखकर और जांच व ट्रेसिंग तकनीकों के जरिए संक्रमण पर काबू रखा पर डेल्टा के सामने ये रणनीति नहीं चली। मई में यहां भयानक लहर आयी जिसने पूरे चिकित्सा तंत्र को हिलाकर रख दिया। हालांकि अब सरकार तेजी से टीकाकरण करा रही है जिससे हालात काबू में आने लगे हैं।
न्यूजीलैंड व हांगकांग पर खतरा
ऑस्ट्रेलिया की तरह न्यूजीलैंड और हांगकांग में भी टीकाकरण की रफ्तार बेहद धीमी है और अभी तक केवल 16 और 39 फीसदी लोगों ने टीके की दोनों खुराके ली हैं। सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के महामारी विशेषज्ञ डेल फिशर कहते हैं कि न्यूजीलैंड और हांगकांग भले अभी तक सुरक्षित हों पर वे जल्द ही डेल्टा वेरिएंट के कारण संक्रमण की जद में आ सकते हैं क्योंकि यहां टीकाकरण बेहद धीमा है।
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