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अमेरिका ने भारत को बनाया साझेदार और उपद्रव थामने को हमें कर रहा याद, छलका इमरान खान का दर्द

अमेरिका और भारत के करीब आने से पाकिस्तान बौखला गया है। दोनों देशों की नजदीकियों को देखकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपना दर्द छुपा नहीं पाए हैं, इसलिए उन्होंने कहा है कि अमेरिका अब भारत के साथ अपनी दोस्ती मजबूत कर रहा है, इसी वजह से वह पाकिस्तान के साथ अलग तरह का व्यवहार कर रहा है। बता दें कि इमरान खान लंबे समय से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में फोन न आने से और भारत के साथ यूएस की करीबी बढ़ने से इमरान खान की बेचैनी भी तेज हो गई है। इमरान खान ने आरोप लगाया है कि अमेरिका पाकिस्तान को सिर्फ अफगानिस्तान में फैला ‘कचरा’ साफ करने के लिए फायदेमंद समझता है। 

पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी ने पिछले 20 साल में अफागनिस्तान में जो ‘गंदगी’ फैलाई है। वह सिर्फ उसे साफ करने के लिए पाकिस्तान को फायदेमंद समझता है। बता दें कि अमेरिका लगातार पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच समझौता कराए और अफगानिस्तान में तेजी सो बढ़ रही हिंसा को रोके। पाकिस्तान पर कई बार तालिबान की मदद करने के आरोप लगते रहे है लेकिन इमरान खान ने कहा है कि अफगानिस्तान के मामले में पाकिस्तान किसी का पक्ष नहीं ले रहा है।

भारत-अमेरिका की नजदीकी से छलका इमरान का दर्द

पाकिस्तान का भारत और अमेरिका को लेकर यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब इमरान खान जो बाइडेन के फोन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों से घबराए इमरान खान ने कहा है, “मुझे लगता है अमेरिकियों ने फैसला किया है कि भारत ही उनका रणनीतिक साझेदार है, इसलिए वे पाकिस्तान के साथ अलग तरह का व्यवहार करते हैं।”

अमेरिका 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लेगा। 20 साल पहले हमला करके अमेरिका तालिबान को सत्ता से हटा दिया था और अब अमेरिकी सेना के लौट जानेके बाद तालिबाग तेजी से आगे बढ़ रहा है।

अफगानिस्तान में राजनीतिक समझौता मुश्किल

अफगानिस्तान की स्थिति पर पाकिस्तान ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में अफगानिस्तान में राजनीतिक समझौता मुश्किल दिख रहा है।  प्रधान मंत्री ने कहा कि उन्होंने तालिबान नेताओं को मनाने की कोशिश की लेकिन तालिबान की शर्त है कि जब तक राष्ट्रपति अशरफ गनी सरकार में मौजूद हैं, तब तक वे सरकार से बातचीत नहीं करेंगे।

हालांकि अफगानिस्तान में हिंसा को खत्म करने के दूसरे प्रयास किए जा रहे हैं। अमेरिका सहित कई देशों के प्रतिनिधि इस समय कतर की राजधानी दोहा में हैं और दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं और संघर्ष विराम के लिए अंतिम प्रयास कर रहे हैं।

पाकिस्तान नहीं चाहता अमेरिकी सैन्य ठिकाना

तालिबान की प्रगति के खिलाफ अफगान बलों का समर्थन करने के लिए अमेरिकी सेना ने हवाई हमलों का उपयोग करना जारी रखा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि 31 अगस्त के बाद भी ऐसा समर्थन जारी रहेगा या नहीं। खान ने कहा कि पाकिस्तान ने “यह बहुत साफ कर दिया है” कि वह अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद पाकिस्तान में कोई अमेरिकी सैन्य ठिकाना नहीं चाहता है।