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तालिबान से जंग में क्यों चर्चा बटोर रहा है सेना का यह युवा जनरल, दीवाने हुए अफगानी

तालिबान की हिंसा से जूझ रहे अफगानिस्तान में सेना लगातार संघर्ष कर रही है और देश में लोकतांत्रिक सरकार के शासन को बचाए रखने की जद्दोजहद में है। अब तक तालिबान की हिंसा के चलते देश में 60 हजार से ज्यादा परिवार बेघर हो गए हैं और अपने ही देश में यहां-वहां आसरे की तलाश में भटक रहे हैं। इस बीच अफगान सेना के युवा जनरल सामी सादात नागरिकों के लिए एक उम्मीद बनकर उभरे हैं। 36 साल के सामी लश्कर गाह में तालिबान का मुकाबला कर रहे हैं। भले ही तालिबान ने कई प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन यहां उसे कड़ी टक्कर मिल रही है। 

एक तरफ तालिबानी आतंकी अफगान सैनिकों के सरेंडर करने और शहरों पर अपने कब्जे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं तो वहीं सामी सादात भी इसी टूल का इस्तेमाल कर लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं। वह और उनकी कमांड में शामिल 215वीं कॉर्प्स के 20,000 सैनिकों की ट्विटर अकाउंट्स पर काफी फैन फॉलोइंग है। वह अकसर ही लोगों के साथ तस्वीरें शेयर करते हैं और स्थानीय दुकानदारों से मुलाकात करते हैं। बुधवार को अफगान सेना ने ट्वीट किया कि उन्हें प्रमोट किया जा रहा है और वह अब देश की स्पेशल फोर्सेज को लीड करेंगे। 

सादात को है भरोसा, तालिबान को खदेड़ देंगे

भले ही तालिबान ने देश के तमाम हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है, लेकिन सादात ने अब भी उम्मीद नहीं खोई है। वह कहते हैं, ‘मैं जानता हूं कि अंत में जीत हमारी ही होगी।’ सादात ने कहा कि मैं जानता हूं कि यह हमारा ही देश है। तालिबान फेल हो रहा है और वे जल्दी ही यहां से निकल भागेंगे। स्पाई एजेंसी में सादात के साथ काम कर चुके उनके एक पुराने साथी ने कहा कि वह रणनीति के माहिर हैं और किसी भी घटना का अच्छे से विश्लेषण करने में सक्षम हैं। लंदन के किंग्स कॉलेज से ग्रैजुएशन करने वाले सादात ने अपने मिलिट्री करियर की शुरुआत अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय से की थी।  

ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी से हासिल की है मिलिट्री ट्रेनिंग

सामी ने जर्मनी, ब्रिटेन, पोलैंड और अमेरिका में मिलिट्री की ट्रेनिंग हासिल की है। वह अफगानिस्तान की स्पाई एजेंसी में भी काम कर चुके हैं। सामी सादात अपने और परिवार के बारे में बात करने की बजाय जवानों के बारे में चर्चा करना पसंद करते हैं। वह कहते हैं कि लश्कर गाह में आने वाले कोई भी तालिबानी यहां मरेगा। बता दें कि उनका परिवार और सीनियर अकसर तालिबान के निशाने पर रहे हैं।