तालिबान के लड़ाके महीने भर में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को बाकी मुल्क से अलग-थलग कर सकते हैं और इस पर कब्जा करने में उन्हें 90 दिन लग सकते हैं. अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने जासूसी एजेंसी के हवाले से यह बात कही है.रॉयटर्स एजेंसी से बातचीत में इस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि तालिबान जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उसके आधार पर आकलन किया गया कि उसे काबुल तक पहुंचने में कितना वक्त लगेगा. इस अधिकारी ने कहा, “यह अंतिम विश्लेषण नहीं है. अफगान सेना ज्यादा विरोध के जरिए बढ़त को उलट भी सकती है.” इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने देश के लगभग 65 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया है. एक यूरोपीय अधिकारी के मुताबिक 11 प्रांतों की राजधानियां या तो कब्जा ली गई हैं या उन पर खतरा मंडरा रहा है.देखिएः किस हाल में हैं अफगान बुधवार को तालिबान ने उत्तर पूर्व में बादकशां प्रांत की राजधानी फैजाबाद पर भी कब्जा कर लिया. इसके साथ ही आठ राज्यों की राजधानियों पर उसका पूर्ण कब्जा हो चुका है. कंधार शहर में भी तेज लड़ाई जारी है. दक्षिणी कंधार से एक डॉक्टर ने बताया कि बड़ी संख्या में अफगान फौजियों के शव और घायल तालिबान अस्पताल में पहुंचे हैं. काबुल की किलेबंदी एक सुरक्षा सूत्र ने बताया है कि पहाड़ियों से घिरी राजधानी काबुल में आने जाने के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं. रॉयटर्स एजेंसी से इस सूत्र ने कहा, “इस बात का डर है कि खुदकुश हमलावर शहर के कूटनीतिक दफ्तरों वाले इलाकों में घुसकर हमला कर सकते हैं ताकि वे लोगों को डरा सकें और सुनिश्चित कर सकें कि जल्द से जल्द सारे लोग चले जाएं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पिछले एक महीने में एक हजार से ज्यादा आम नागरिकों की मौत हो चुकी है. रेड क्रॉस ने कहा है कि सिर्फ इस महीने में 4,042 घायल लोगों का 15 अस्पतालों में इलाज हुआ है. तस्वीरों मेंः 20 साल से जारी युद्ध की कीमत तालिबान आम नागरिकों को निशाना बनाने की बात से इनकार करता है. बुधवार को जारी एक बयान में संगठन के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि तालिबान ने “आम नागरिकों, उनके घरों या बस्तियों को निशाना नहीं बनाया है बल्कि अभियान चलाते वक्त बहुत सावधानी बरती गई है.” अमेरिका को पछतावा नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि उन्हें अपनी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के निर्णय पर कोई पछतावा नहीं है. बाइडेन ने अफगान नेतृत्व से अपनी मातृभूमि के लिए लड़ने का आह्वान किया. बाइडेन ने कहा कि पिछले 20 साल में अमेरिका ने एक खरब डॉलर खर्च किए और हजारों सैनिकों की जान गंवाई.वाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि अब “अफगानों को यह तय करना होगा कि उनके जवाब देने की राजनीतिक इच्छा और एक होकर लड़ने की क्षमता है या नहीं.” देखिए, तालिबान से पहले का अफगानिस्तान तालिबान की आगे बढ़ने की रफ्तार ने सरकार और उसके सहयोगियों को हैरान किया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि तालिबान के हमले 2020 में हुए समझौते की भावना के खिलाफ हैं. प्राइस ने कहा कि तालिबान ने शांति वार्ता के लिए प्रतिबद्धता जताई थी जो स्थायी और विस्तृत युद्ध विराम सुनिश्चित करे उन्होंने कहा, “सारे संकेत कहते हैं कि तालिबान युद्ध के जरिए जीत हासिल करना चाहता है. प्रांतीय राजधानियों और आम नागरिकों पर हमले समझौते की भावना के खिलाफ हैं.” वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी).
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